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विषय.
.. पृष्ठ. . विषय. भोजनके अनन्तर आचमन ... २०३ छने, आदि जलकी मर्यादा . भोजनवस्त्रत्याग और तांबूल
. जलको सुगंधित करना। भक्षण
. २०३ जलकी एक बिंदुमें जीवोंका परिमाण पानखानेकी विधि
२०३ जल छाननेमें यत्न केवल सुपारी खाने में दोष
२०४ अयोग्य छन्नेसे हानि । पानके विषयमें विशेष नियम २०४ अनाज बीनना और पीसना. तांबुलभक्षणमें तेरहगुण
२०४ न पीसने योग्य धान्य पान न खानेके अवसर
२०४ धूप आदिमें न डालने योग्य धान्य तांबुल के साथ खाने योग्य
अधिक दिन अनाज भरनेका निषेध अन्य पदार्थ
२०५ चांवल आटा दाल आदिमें शीघ्र भोजनानन्तर शयन .
२०५ जीवोत्पत्ति दिनमें अधिक सोनेका निषेध २०५ स्नानकर और हाथपर धोकर . . रोगोत्पत्ति के छह कारण
२०५ चौके में जाना भोजन कर सोनमें विशेष .. २०५ चूल्हेकी राख निकालना, उपसंहार
२०५ ईधन इकट्टा करना, अग्नि धार्मिक प्रशंसा
जलाना और उत्तम उत्तम
भोजन बनाना सातवां अध्याय । स्त्रियोंकी भोजन विधि अर्थोपार्जन
२०७ पुरुषोंके कर्तव्य स्त्रियोंके पांच कर्तव्य
ब्राह्मणोंका कर्तव्य झाडू लगानेकी तरकीब
ब्राह्मणका लक्षण धूली-प्रक्षेपण
क्षत्रियों के कर्तव्य. . . ।। भूमिलेपन
राजाका कर्तव्य.
।। गोबर थापना और धूपमें सुखाना
राजाका स्वरूप. ,
सात अंग और आठ भय.. .. . वर्तन मलना
अमात्य लक्षण और.मंत्रिलक्षण, पानीके लिए जलाशय जाना
कोश और दुर्ग. छनेका परिमाण
. : . न वर्तने योग्य छन्ना
२०९ राष्ट्र और ग्रामादिका लक्षण.
. जल छाननेकी विधि .
.२०९ चतुरंग सैन्य. ..
राजा के गुण जीवानी प्रक्षेपण तथा घरपर . . . .
तीन शक्तियां और तीन सिद्धियां ' आकर पुनः जल छानना
पाडण्य और राज्य रक्षाके उपाय. . दो घड़ी बाद पुनः जल छानना और प्रातःकाल अवशिष्ट जलको छानकर :: .. ., मंत्र भेद जलाशयमें जीवानी डालना . . . . . मुकुटबद्ध राजाका लक्षण
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