Book Title: Swaroopsambhodhan Panchvinshati
Author(s): Bhattalankardev, Sudip Jain
Publisher: Sudip Jain
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उत्थानिका ( कन्नड़ टीका ) - श्रीमन्नयसेनपडितदेवशिष्यरम्प श्रीमन्ममहासेनपण्डितदेवरु भव्यसार्थसम्बोधनार्थमागि स्वरूपसम्बोधन - पञ्चविंशत्येंब ग्रंथमं माडुत्तमा ग्रंथद मोदलोळु इष्टदेवतानमस्कारनं माडिदपरु
उत्थानिका (संस्कृत टीका ) - श्रीमदकलंकदेवः स्वस्य भावसंशुद्धेर्निमित्तं सकल भव्यजनोपकारिणं येनात्यमनल्पार्थं स्वरूपसम्बोधनाख्यं ग्रन्थमिमं विरचयंस्तदादौ मुख्यमंगलनिमित्तं परंज्योतिस्वरूप- परमात्मानं नमस्कुर्वन्निदमाहमुक्तामुक्तैकरूपो यः कर्मभिः संविदादिभिः । ।
अक्षयं परमात्मानं, ज्ञानमूर्तिं नमामि तम् ।। 1।।
कन्नड़ टीका - ( नमामि ) पोडवडुवें ( कम ) आवंगे? (तम् ) आतंगे ( कथंभूतम् ) एंतप्पंगे ? ( परमात्मानम् ) समस्तवस्तुगळोळुत्कृष्टनप्यातंगे (पुनरपि कथंभूतम् ) मत्तमेंतप्पो ? (अक्षयम् ) केडिललदंगे, (पुनरपि कथंभूतम्) मत्तमेतप्पंगे? (ज्ञानमूर्तिम् ) ज्ञानस्वरूपमप्पंगे, (यः कथंभूतम् ) आवनानुमोर्वनेंतप्पं ? (मुक्तामुक्तैकरूपः ) मुक्तामुक्तैकरूपं, (कै.) अम्बुदरिंदं मुक्तस्वरूपं ( कर्मभिः) ज्ञानावरणादिकर्मगलिंद (कै.) आयुदरिदं ? ( अमुक्तरूपः ) अमुक्तरूपं (संविदादिभि:) ज्ञानादिगुणंगळिंदं ।
संस्कृत टीका - य: ( कर्मभिः) विजातीयज्ञानावरणाद्यष्टविधकर्मभिश्च ( संविदादिना ) निजस्वरूपज्ञानादिगुणसमूहेन यथासंख्यं मुक्तामुक्तश्चासौ ( एकरूपः ) एकमेकस्वरूपं यस्यासावेकरूपश्च मुक्तामुक्तैकरूप: ( तं ज्ञानमूर्तिम् ) ज्ञानमेवमूर्तिर्यस्यासौ तं ज्ञानमूर्ति (अक्षयम्) प्रादुर्भूतानन्तचतुष्टस्वरूपस्य क्षयरहितत्वेनाक्षयस्तं (परमात्मानम् ) परमश्चासावात्मा च परमात्मा, तं परमात्मानम् ( नमामि ) नमस्करोमि ।
उत्थानिका (कन्नड टीका ) - श्रीमान् नयसेन पण्डितदेव के शिष्य श्रीमन्महासेन पण्डितदेव भव्यसमूह को सम्बोधनार्थ ( रचे गये ) स्वरूपसम्बोधन-पञ्चविंशति' (नामक ) इस ग्रंथ की (टीका) रचना करते हुए, इस ग्रंथ के प्रारम्भ में इष्टदेवता को नमस्कार करते हैं।
उत्पानिका (संस्कृत टीका ) - श्रीमदकलंकदेव अपनी भावसंशुद्धि के निमित्त सम्पूर्ण भव्यजनों के लिए उपकारी इस संक्षिप्त, किन्तु अनल्प अर्धवाले स्वरूप सम्बोधन' नामक ग्रन्थ की रचना करते हुए, उसके प्रारम्भ में मुख्य मंगल के निमित्त अद्वितीय ज्योतिस्वरूप परमात्मा को नमस्कार करते हुए यह कहते हैं
1. 'संविदादिना' इति सं. प्रतिपाठः ।
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