________________
६२ :
श्रमण/अप्रैल-जून/१९९९
२४५-२५०), ११. रुद्र (गाथा ३९५-४०२), १२. श्रावकपुत्र (गाथा ५०६-५१७), १३. पाखण्डी (गाथा २५८), १४. कुरुचन्द्र (गाथा ९५२-९६९), १५. शंखनृपति (गाथा ७३६-७६२), १६. ऋद्धिसुन्दरी (गाथा ७०८), १७. रति-सुन्दरी (गाथा ७०३), १८. गुणसुन्दरी (गाथा ७१३), १९. नृप पत्नी (गाथा ८६१-८६८)। ३. भावना और वृत्तिप्रधान कथायें
१. गालव (गाथा ३७८-३८२), २. मेघकुमार (गाथा २६४-३७२), ३. तोते की पूजा (गाथा ९७५-९९६), ४. वृद्धा नारी (गाथा १०२०-१०३०)। ४. व्यंग्य प्रधान कथायें
१. कच्छप का लक्ष्य (गाथा १३), २. युवकों से प्रेम (गाथा ११३)। ५. बुद्धि चमत्कार प्रधान कथायें
१. चतुर रोहक (गाथा ५२-७४), २. पथिक के फल (गाथा ८१), ३. अभयकुमार (गाथा ८२), ४. चतुर वैद्य (गाथा ८०), ५. हाथी की तौल (गाथा ८७), ६. मन्त्री की नियुक्ति (गाथा ९०), ७. व्यन्तरी (९४), ८. कल्पक की चतुराई (गाथा १०८), ९. मृगावती कौशल (गाथा १०८)। ६. प्रतीक प्रधान कथायें
१. धन्य की पुत्रवधुयें (गाथा १७२-१७९)। ७. मनोरंजन प्रधान कथायें
१. जामाता परीक्षा (गाथा १४३), २. राजा का न्याय (गाथा १२०), ३. विषयी सुख (पृ० ३९८)। ८. नीति या उपदेशप्रधान कथायें
१. सवलित रत्न (गाथा १०), २. सोमा (गाथा ५५०-५९७), ३. वरदत्त (गाथा ६०५-६६३), ४. गोवर (गाथा ५५०-५९७), ५. सत्संगति (गाथा ६०८-६६३), ६. कलि (गाथा ८६७), ७. कुन्तलदेवी (गाथा ४९७), ८. सूरतेज (गाथा १०१३-१०१७)। ९. प्रभावप्रधान कथायें
१. ब्रह्मदत्त (गाथा ६), २. पुण्यकृत्य की प्राप्ति (गाथा ८), ३. प्रभाकर-चित्रकार (गाथा ३६२-३६६), ४. कामासक्ति (गाथा १४७), ५. माषतुष (गाथा १९३)।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org