Book Title: Sramana 1999 04
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 202
________________ जैन-जगत् ***************+*+ जैन दर्शन में निश्चय और व्यवहारनय : एक अनुशीलन महावीर पुरस्कार १९९८ से सम्मानित पार्श्वनाथ विद्यापीठ के लिये यह अत्यन्त हर्ष और गौरव का विषय है कि प्रो० सागरमल जी जैन के प्रधान सम्पादकत्त्व में पार्श्वनाथ विद्यापीठ ग्रन्थमाला के अन्तर्गत १९९७ ई० में प्रकाशित और जैन धर्म-दर्शन के सुप्रसिद्ध विद्वान्, प्रखर चिन्तक डॉ० रतनचन्द जैन द्वारा लिखित ग्रन्थ जैनदर्शन में निश्चय और व्यवहारनय: एक अनुशीलन को जैन विद्या संस्थान, अतिशय क्षेत्र, महावीर जी (राज०) द्वारा ग्यारह हजार एक रुपये के महावीर पुरस्कार १९९८ से सम्मानित किया गया है। ज्ञातव्य है कि विद्यापीठ द्वारा अब तक प्रकाशित शताधिक ग्रन्थों में से अनेक ग्रन्थरत्न विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। पार्श्वनाथ विद्यापीठ परिवार डॉ० रतनचन्द जी जैन की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर उनका हार्दिक अभिनन्दन करता है। : १९९ विद्यापीठ के प्रांगण में Dr. Charlotte Krause: Her Lire & Literature के लोकार्पण समारोह का आयोजन Jain Education International प्रो० सागरमल जैन की प्रेरणा एवं श्रावकरत्न, सुप्रसिद्ध श्रेष्ठी श्री हजारीमल जी बांठिया के सक्रिय सहयोग से पार्श्वनाथ विद्यापीठ द्वारा भारतीय साहित्य विशारदा डॉ० शार्लोटे क्राउझे उर्फ सुभद्रा देवी द्वारा लिखित जैन धर्म-दर्शन एवं इतिहास से सम्बन्धित विभिन्न शोधपत्रों एवं ग्रन्थों के पुनर्प्रकाशन की परियोजना २ वर्ष पूर्व प्रारम्भ की गयी थी। इस परियोजना के अन्तर्गत प्रथम खण्ड के रूप में प्रकाशित Dr. Charlotte Krause : Her Life & Literature का लोकार्पण समारोह १८ मई को विद्यापीठ के परिसर में किया गया है। डॉ० रीनेट शर्मा- वरिष्ठ प्रवक्ता, जर्मन भाषा विभाग, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय द्वारा उक्त ग्रन्थ का लोकापर्ण सम्पन्न हुआ। समारोह की अध्यक्षता श्री तनसुखराज डागा, अध्यक्ष - वीरायतन (राजगीर) ने की। इस अवसर पर प्रो० रमेशचन्द्र शर्मा— निदेशक, भारत कला भवन, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, प्रो० आर०एस० शर्मा, संस्कृत विभाग, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, श्री हजारीमल बांठिया तथा बड़ी संख्या में स्थानीय विद्वानों ने भाग लिया। For Private & Personal Use Only . www.jainelibrary.org

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