________________
श्रमण / अप्रैल-उ
१९८ :
द्वितीय स्थान प्राप्त कृति को ब्र० पूरणचन्द रिद्धिलता लुहाड़िया साहित्य पुरस्कार ५००१/- रुपये एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जायेगा ।
- जून / १९९९
३१ दिसम्बर १९९५ के बाद प्रकाशित पुस्तकें ही इसमें सम्मिलित की जा सकती हैं । अप्रकाशित कृतियों की टंकित या फोटोस्टेट की हुई तीन प्रतियाँ जो जिल्द बंधी हों, भेजनी आवश्यक है। नियमावली तथा आवेदन-पत्र का प्रारूप प्राप्त करने के लिये निम्न पते पर पत्र व्यवहार करें
जैन विद्या संस्थान कार्यालय, दिगम्बर जैन नसियां भट्टारक जी, सवाई मानसिंह रोड, जयपुर, ३०२००४ (राज० ) ।
वर्ष १९९८ का महावीर पुरस्कार डॉ० रतनचन्द जैन, भोपाल को उनकी नवप्रकाशित कृति जैन दर्शन में निश्चय और व्यवहारनय : एक अनुशीलन तथा ब्र० पूरणचन्द रिद्धिलता लुहाड़िया पुरस्कार पं० निहाल चन्द जैन को उनकी कृति नैतिक आचरण पर १.४.९९ को महावीर जयन्ती के अवसर पर प्रदान किया गया।
स्वयंभू पुरस्कार १९९९ के लिये कृतियाँ आमन्त्रित
दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, श्री महावीर जी द्वारा संचालित अपभ्रंश साहित्य अकादमी, जयपुर के वर्ष १९९९ के स्वयंभू पुरस्कार के लिए अपभ्रंश साहित्य से सम्बन्धित विषय पर हिन्दी या अंग्रेजी में लिखित कृतियों की चार प्रतियाँ ३० सितम्बर १९९९ तक आमंत्रित हैं। इस पुरस्कार में ११००१/- रुपये नकद एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जायेगा।
३१ दिसम्बर १९९४ से पूर्व की प्रकाशित तथा पहले से पुरस्कृत कृतियाँ इसमें सम्मिलित नहीं की जायेंगी । अप्रकाशित कृतियों की ३ - ३ प्रतियाँ टंकण या फोटोस्टेट की हुई तथा जिल्द बंधी भेजनी आवश्यक है । पुस्तकें संस्थान की सम्पत्ति होंगी और वे लौटाई नहीं जायेंगी।
नियमावली तथा आवेदन-पत्र का प्रारूप प्राप्त करने के लिये अकादमी कार्यालय दिगम्बर जैन नसियां भट्टारक जी, सवाई मानसिंह रोड, जयपुर ३०२००४ से पत्र-व्यवहार करें।
वर्ष १९९८ का स्वयंभू पुरस्कार डॉ० सुरेन्द्र कुमार जैन 'भारती' को उनकी कृति पासणाहचरिउ : एक समीक्षात्मक अध्ययन पर दिनांक १.४.९९ को महावीर जयन्ती के अवसर पर प्रदान किया गया।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org