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श्रमण/अप्रैल-जून/१९९९
के अनेकान्तवाद का सिद्धान्त आधुनिक समाजवादी धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा के निकटवर्ती होने के साथ ही वैयक्तिक तथा सामाजिक एवं राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय विचारों को स्वस्थ बनाने में ततोऽधिक प्रभावकारी है। वस्तुत: आज भी महावीर का सिद्धान्त भावी विनाश से हमारी रक्षा कर सकता है, इसलिए इसकी प्रासंगिकता निर्विवाद है।
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