________________
१९४ :
श्रमण/अप्रैल-जून/१९९९
भगवान् महावीर पुरस्कार समर्पित चेन्नई, अप्रैल ३ : भगवान् महावीर फाउण्डेशन, चेन्नई द्वारा आयोजित एक भव्य समारोह में तमिलनाडु के मुख्यमन्त्री श्री एम० करुणानिधि द्वारा वर्ष १९९९ के लिए भगवान् महावीर पुरस्कार प्रदान किये गये। भगवान् महावीर फाउण्डेशन द्वारा पिछले पांच वर्षों से जीवन के हर क्षेत्र में मानव सेवा से सम्बद्ध उत्कृष्ट कार्यों—विशेषत: अहिंसा, सत्य, शाकाहार, शिक्षा, चिकित्सा, समुदाय और समाज सेवा के लिए पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं।
समारोह में उपस्थित जनसमूह का स्वागत करते हुए फाउण्डेशन के न्यासी श्री एन० सुगालचन्द जैन ने बताया कि फाउण्डेशन को लगभग १५०० प्रार्थना-पत्र प्राप्त हुए हैं और मेरी दृष्टि में उन सभी को पुरस्कार के लिए चयनित किया जा सकता है, परन्तु न्यास की भी सीमाएं हैं। आगे आपने बताया कि देश में समाज सेवा हेतु उत्कृष्ट कार्य करने वालों की कमी नहीं है। आपने इस अवसर पर चयनित तीनों पुरस्कार प्राप्त करने वालों को विशेष बधाई भी दी।
वर्ष १९९९ के निम्न तीन पुरस्कार जिनमें प्रत्येक में ५ लाख रूपये नकद, एक स्मृति चिह्न एवं एक प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया गया। ये पुरस्कार श्रीमती मेनका गाँधी (केन्द्रीय मंत्री व अध्यक्ष, पीपुल्स फॉर एनीमल) को अहिंसा व शाकाहार के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए; डॉ० जी० वेकटस्वामी (चेयरमैन, अरविन्द आई हास्पिटल एण्ड पोस्ट ग्रेजुएट इन्स्टीट्यूट ऑफ आप्थोमॉलोजी, मदुरै). को शिक्षा एवं चिकित्सा के क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए और भगवान् महावीर विकलांग समिति, जयपुर को सामाजिक एवं मानवसेवा हेतु प्रदान किये गये।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री करुणानिधि ने अपने विचार व्यक्त करते हुए बताया कि अर्वाचीन सिद्धान्तसम्पन्न जैन दर्शन से तमिल साहित्य भी प्रभावित है और तमिल विद्वान् श्री तिरुवल्लुवर ने भी तमिल साहित्य में जैन दर्शन को स्पष्ट रूप से दर्शाया है। शान्ति दूत भगवान् महावीर की प्रतिभा को प्रतिष्ठित करने से एवं उनके सिद्धान्तों के अनुसरण से वर्तमान की भीषण हिंसा व अशान्ति की स्थिति से बचा जा सकता है। भगवान् महावीर के दूरदर्शी सिद्धान्तों में समाज में फैली असमानता से उत्पन्न भीषण स्थिति की भविष्यवाणी बहुत पूर्व ही कर दी गयी थी। अपने विचारों को प्रस्तुत करते हुए उपस्थित जनसमुदाय के सामने डॉ० जी० वेंकटस्वामी की उत्कृष्ट सेवाओं की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए उन्होंने बताया कि आपने ग्रामीण क्षेत्रों में नेत्र चिकित्सा शिविरों के प्रबन्धन में सुगठित सेना की तरह कार्य किया है तथा श्रीमती मेनकाजी ने तो मूक जानवरों व पर्यावरण संरक्षण हेतु अपना जीवन ही अर्पित कर दिया है। भगवान् महावीर विकलांग समिति के विषय में आपने बताया कि इस संस्थान की उत्कृष्ट
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org