Book Title: Sramana 1999 04
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 196
________________ जैन-जगत् : १९३ अहिंसा इण्टरनेशनल गोल्डेन इण्डिया फाउण्डेशन पत्रकारिता पुरस्कार ३१,०००/- डॉ० नीलम जैन, सहारनपुर। श्री सम्मेदशिखर तीर्थ पर विविध आयोजन सम्मेदशिखर २७ अप्रैल : आचार्यश्री विमलसागर जी के पट्टशिष्य सन्तशिरोमणि आचार्यश्री भरतसागर जी के पावन सानिध्य में यहां तलहटी में नवनिर्मित श्रीदेवाधिदेव तीस चौबीसी का पंचकल्याणक एवं विमल समाधि प्रतिष्ठापन तथा गजरथ महोत्सव का ५दिवसीय भव्य कार्यक्रम दिनांक २२ अप्रैल से २६ अप्रैल तक चला जिसमें बहुत बड़ी संख्या में देश के कोने-कोने से आये श्रद्धालुओं ने बड़े ही उत्साह के साथ भाग लिया। कोल्हुआ पहाड़ (पारसगिरि तीर्थ) १०वें तीर्थङ्कर भगवान् शीतलनाथ के चार कल्याणक-गर्भ, जन्म, दीक्षा और केवलज्ञान- दिगम्बर परम्परानुसार कोल्हुआपहाड़ (पारसगिरि) पर हुए। यह स्थान बिहार राज्य के गया जिले में जिला मुख्यालय से ७० किलोमीटर दूर अवस्थित है। आचार्य भरतसागर जी के ४९वें जयन्ती के उपलक्ष्य में स्थानीय जैन समाज द्वारा शहर से तीर्थक्षेत्र पर जाने के लिये यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए एक निजी वाहन की व्यवस्था की गयी है, जो सराहनीय है। पर्वत के ऊपर एक गुफा में विराजमान भगवान् पार्श्वनाथ की प्रतिमा, चट्टानों पर उत्कीर्ण ५ बालयतियों की खड्गासन प्रतिमायें, १५ तीर्थङ्करों की पद्मासन मूर्तियां, शिखरबद्ध जिनालय, भगवान् शीतलनाथ के चरण चिह्न एवं एक सुरम्य सरोवर दर्शनीय है। पर्वत की तलहटी में सर्वसुविधा सम्पन्न एक धर्मशाला भी है जहां यात्रीगण कुछ दिन ठहर सकते हैं। आचार्यश्री भरतसागर जी महाराज की प्रेरणा से इस तीर्थ का अब समुचित विकास हो रहा है और शीघ्र ही यह स्थान प्रसिद्ध तीर्थक्षेत्रों की कोटि में सम्मिलित हो जायेगा साथ ही सम्मेदशिखर के निकट स्थित होने के कारण वहां आने वाले तीर्थयात्री यहां की भी यात्रा एवं दर्शन-पूजन का लाभ ले सकेंगे। श्री सौभाग्यमनि जी का चातुर्मास चेन्नई में स्थानीय श्री श्वेताम्बर श्रमण संघ की प्रार्थना और आचार्य सम्राट श्री देवेन्द्र मुनि जी महाराज की आज्ञा से श्रमणसंघीय महामन्त्री श्री सौभाग्य मुनि जी का वर्ष १९९९ का चातुर्मास साहूकार पेठ, चेन्नई में निश्चित हुआ है। मुनिश्री के चेन्नई में चातुर्मास की घोषणा होने से स्थानीय समाज में उल्लास की लहर फैल गयी। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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