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साहित्य-सत्कार
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पांव पांव चला सूरज ( श्रमणसघीय महामन्त्री श्री सौभाग्य मुनि 'कुमुद' का जीवनवृत्त); लेखक- मुनि डॉ० राजेन्द्र 'रत्नेश'; प्रकाशक- श्री अम्बागुरु शोध-संस्थान, कुम्हार बाडा, उदयपुर - राजस्थान; प्रथम संस्करण १९९४ ई०; पृष्ठ २६ + ३४४; पक्की जिल्द, आकार- - रायल आठपेजी; मूल्य - एक सौ रुपया मात्र । श्रमणसंघीय महामन्त्री श्री सौभाग्य मुनि जी 'कुमुद' स्थानकवासी समाज के देदीप्यमान नक्षत्र हैं। वे न केवल श्रमण संघ के मेधावी सन्त हैं बल्कि प्रभावी वक्ता, मधुर गायक, कवि एवं सिद्धहस्त लेखक भी हैं। मुनिश्री का जन्म ऐसी धरती पर हुआ है जहाँ शक्ति और भक्ति का अद्भुद् समन्वय रहा है। मेवाड़ की इस धरती ने जहाँ महाराणा प्रताप जैसे शूरवीरों और देशभक्तों को जन्म दिया हैं वहीं मीराबाई आदि जैसी महान् भक्त भी इसी पवित्र भूमि की देन हैं ।
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प्रस्तुत पुस्तक की प्रणेता मुनि (डॉ० ) राजेन्द्र 'रत्नेश' श्री सौभाग्य मुनि जी 'कुमुद' के अन्तेवासी हैं। उन्होंने अत्यन्त प्रभावशाली रूप में अपने गुरुदेव के जीवन चरित्र का चित्रण प्रस्तुत किया है। इस पुस्तक की यह विशेषता है कि पाठक एक बार पढ़ना प्रारम्भ करे तो पूरा पढ़े बिना इसे रखने की इच्छा नहीं होती । पुस्तक में मुनिश्री की परम्परा के विभिन्न मुनिजनों के चित्र भी दिये गये हैं । पुस्तक की साज-सज्जा अत्यन्त आकर्षक तथा मुद्रण निर्दोष है। सर्वश्रेष्ठ कागज एवं द्विरंगे पृष्ठों पर मुद्रित यह पुस्तक प्रत्येक पुस्तकालयों के लिये संग्रहणीय है।
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चिन्तन की गहराइयाँ (डॉ० हुकमचन्द भारिल्ल के साहित्य में से चुने गये महत्त्वपूर्ण अंश); संकलन एवं सम्पादन - ब्र० श्री यशपाल जैन, प्रकाशक- पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट, ए-४, बापूनगर, जयपुर ३०२०२५; आकारडिमाई; पक्की जिल्द; पृष्ठ ८ + ३१८; मूल्य १५ रुपये मात्र ।
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डॉ०हुकमचन्द भारिल्ल जैन समाज के सर्वाधिक लोकप्रिय लेखक हैं। उनकी सशक्त लेखन से अनेक वाक्य सूक्तियों जैसे बन गये हैं। ऐसे ही कतिपय महत्त्वपूर्ण अंशों को उनके द्वारा लिखित १७ पुस्तकों में से चयन करके पुस्तकाकार रूप में प्रस्तुत किया गया है। डॉ० भारिल्ल की सभी रचनायें समाज में आदृत हुई हैं। विभिन्न मुनिजनों एवं विद्वानों ने उनकी कृतियों पर अपने-अपने विचार व्यक्त किये हैं । प्रस्तुत पुस्तक से डॉ० साहब द्वारा प्रणीत सम्पूर्ण साहित्य पढ़ने की पाठकों को प्रेरणा मिलेगी, इसमें कोई सन्देह नहीं है । पुस्तक की साज-सज्जा चित्ताकर्षक एवं मुद्रण त्रुटिरहित है। श्रेष्ठ कागज पर निर्मित इस ग्रन्थ का मूल्य मात्र १५ रुपये रखा गया है ताकि इसका अधिकाधिक प्रचार-प्रसार हो। ऐसे संग्रहणीय पुस्तक के संकलन, सम्पादन और प्रकाशन के लिये सम्पादक और प्रकाशक बधाई के पात्र हैं।
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