Book Title: Siddhachakra Mmahapujan Vidhi
Author(s): Arvindsagar
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 26
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२ श्री सिद्धचक्र महापूजन विधि (६) क्षि प ॐ स्वा हा, हा स्वा ॐ प क्षि।। ए मंत्राक्षरो अनुक्रमे चडउतर आरोह-अवरोह क्रमे नीचेना अवयवो ढींचण १, नाभि २, हृदय ३, मुख ४ अने ललाट-मस्तक ५ एम पांच स्थळे स्थापी-आत्मरक्षा करवी। ॥श्रीवज्रपञ्जरस्तोत्रम् ।। ॐ परमेष्ठिनमस्कारं, सारं नवपदात्मकम् । आत्मरक्षाकरं वज्र-पञ्जराभं स्मराम्यहम् ।।१।। ॐ नमो अरिहंताणं, शिरस्कं शिरसि स्थितम् । ॐ नमो सब्वसिद्धाणं, मुखे मुखपटं वरम् ।।२।। ॐ नमो आयरियाणं, अङ्गरक्षाऽतिशायिनी।। ॐ नमो उवज्झायाणं, आयुधं हस्तयोर्दृढम् ।।३।। ॐ नमो लोए सव्वसाहूणं, मोचके पादयोः शुभे।। एसो पञ्चनमुक्कारो, शिला वज्रमयी तले।।४।। सव्वपावप्पणासणो, वप्रो वज्रमयो बहिः । मंगलाणं च सव्वेसिं, खादिराङ्गारखातिका ।।५।। स्वाहान्तं च पदं ज्ञेयं, पढमं हवइ मङ्गलं । वप्रोपरि वज्रमयं, पिधानं देहरक्षणे।।६।। महाप्रभावा रक्षेयं, क्षुद्रोपद्रवनाशिनी।। परमेष्ठिपदोद्भूता, कथिता पूर्वसूरिभिः ।।७।। यश्चैवं कुरुते रक्षा, परमेष्ठिपदैः सदा। तस्य न स्याद् भयं व्याधि-राधिश्चापि कदाचन ।।८।। For Private And Personal Use Only

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