Book Title: Siddhachakra Mmahapujan Vidhi
Author(s): Arvindsagar
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 29
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री सिद्धचक्र महापूजन विधि ॐ ह्रां ह्रीं हूँ ह्रीं ह्रः असिआउसा सिद्धपरमेष्ठिनः इमां पूजां प्रतीच्छत प्रतीच्छत । नमः सिद्धपरमेष्ठिभ्यः स्वाहा।। पूजनमुद्रा (अंजलि) करी पूजन करवू । ।।प्रथमवलयम् (मूलनवपदपूजा)। दरेक पदना मंत्री बोली, अष्टप्रकारी पूजा करवी। (१) ॐ ह्रीं सप्रातिहार्यातिशयशालिभ्या श्रीअर्हद्भ्यो नमः स्वाहा ।। (२) ॐ ह्रीं प्राप्तानन्तचतुष्टयेभ्यः श्रीसद्धभ्यो नमः स्वाहा ।। (३) ॐ ह्रीं पञ्चाचारपवित्रेभ्यः श्रीसूरिभ्यो नमः स्वाहा ।। (४) ॐ ह्रीं शुद्धसिद्धान्ताध्यापनप्रवणेभ्यः श्रीउपाध्यायेभ्यो नमः स्वाहा । (५) ॐ हीं सिद्धिमार्गसाधनसावधानेभ्यः श्रीसर्वसाधुभ्यो नमःस्वाहा।। (६) ॐ ह्रीं तत्त्वरूचिरूपाय श्रीसम्यग्दर्शनाय नमः स्वाहा ।। (७) ॐ ह्रीं तत्त्वावबोधरूपाय श्रीसम्यग्ज्ञानाय नमः स्वाहा ।। (८) ॐ ह्रीं तत्त्वपरिणतिरूपाय श्रीसम्यक्चारित्राय नमः स्वाहा।। (९) ॐ ह्रीं केवलनिर्जरारूपाय श्रीसम्यक्-तपसे नमः स्वाहा ।। दरेक पदनी पूजा थया पछी एकेक नवकारवाळी गणवी। ।। इति प्रथमवलयम् ।। ।।द्वितीयवलयम् ।। ४९ द्राक्षो ने ८ बीजोरा। (१) ॐ ह्रीं अवर्गाय स्वाहा (द्राक्षा-१६) नमो अरिहंताणं (बीजो5) ॐ ह्रीं कवर्गाय स्वाहा (द्राक्षा-५) नमो अरिहंताणं (बीजार) For Private And Personal Use Only

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