Book Title: Siddhachakra Mmahapujan Vidhi
Author(s): Arvindsagar
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 64
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५० जो करइ सत्तादियहा, गुरुपूया एस सिद्धचक्कस्स । गह- भूयजक्ख- रक्खस- दुट्ठजरा जंति उवसामं । । १८ ।। जो पुण पक्खं मासं, पूज्जइ वासंपि परमभत्तीए । खय-कुट्ठ- गंडमाला, नासंति - भयंदरा रोया । ।१९।। अन्नेवि एवमाइ- असज्झ उवसग्ग-दुट्ठरायाणं । नासंति खणेणेए, तक्कर - रिउ-दुट्ठसत्ताई ।।२०।। श्री सिद्धचक्र महापूजन विधि " आयरिसिऊण होइ, तस्स वसे दुट्ठपुरिसरायाणो । जो रत्तकुसुमजावं, दहदिवसे कुणइ भत्तीए । । २१ ।। । अग्गेयमंडलगयं, जो चक्कं लिहइ वाउमज्झमि । तिल-तुस- राइ - लवणं, होमंतो तिण्णि संझाओ ।। २२ ।। तालय-मणसिल-गंधय-गुलियाविसकणयदोण्णि रयणीओ । अंगारवत्थखप्परपेयवणे लिहिअ भुज्जपत्ते वा । ।२३ ॥ वायसगिद्धकवोडय, पिच्छेहि जो लिहेइ तं चक्कं । उच्चारण-विद्देसण - मारण- गुरुमोहथोभं च ।। २४ ।। For Private And Personal Use Only माहदमंडलगयं, लिहियं असुहेण भारमक्कतं । सक्करस कुणइ थंभं, का गणणा मणुअलोयस्स । । २५ । । वारुणमंडलमज्झे, वसियरणं होइ सुहेहि लिहिऊणं । निच्चं जो आहास ( राह) इ, तस्स वसे तिहुअणं सयलं ।। २६ ।। लिहिऊणं सेवडे, सुहेहि दि( द ) व्वेहि सिद्धवरचक्कं । जवहोमेहिं रहिओ, जो झाय पंच वासाई । । २७ ।। सज्झायझाणनिरओ, अक्खंडियबंभचेरजोएण । पलमेक्कं दिव्वखंड, कणयस्स दिने दिने लहइ । । २८ ।।

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