Book Title: Siddhachakra Mmahapujan Vidhi
Author(s): Arvindsagar
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 66
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ५२ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री सिद्धचक्र महापूजन विधि श्री सिद्धचक्रयन्त्रोद्धार संक्षिप्त पूजनविधिः । (9) अत्र पूजनकारकाः श्राद्धाः कीदृशा इत्युच्यते । उत्तमकुलोद्भवाः, सम्पूर्णाऽङ्गोपाङ्गाः, पठितविधयो, दिनत्रयं पालितब्रह्मव्रताः, स्खलितादिदोषरहिताः, क्षीरान्न भोजनाः, स्नातावलिप्ताः, विभूषिताश्चत्वारः श्रावका इन्द्राः स्थाप्यन्ते, ते च विधिपूर्वकं पूजनं विदधते । जलेन (२) संक्षिप्त पूजनविधिथी श्रीसिद्धचक्रजी यंत्रनुं पूजन प्रतिदिन करी शकाय छे. आसो अने चैत्र मासमां ओळीना दिवसोमां नवे दिवस आराधकोए अवश्य पूजन करवुं. एथी आराधनामां विशेष उल्लास अने लाभ मळे छे. तेमां प्रथम श्री नवपदजीना वलय सुधीनुं पूजन विस्तृत पूजनविधि प्रमाणे करवुं (पृ. १५ सुधी) पछी ( ३ ) ॐ ह्रीं अनाहत स्वरवर्ग- लब्धिमन्महर्षि-गुर्वष्टकपादुकाभ्यः स्वाहा ।।१ ।। ॐ ह्रीं श्रीजयादिकेभ्यः श्रीसिद्धचक्राधिष्ठायकेभ्यः स्वाहा ।। २ ।। आबे मंत्री बोलवापूर्वक वासक्षेप अक्षतथी अथवा चन्दन- केसरथी अनाहत-स्वरवर्ग-लब्धिपदो, ने गुरुपादुकानुं पूजन करवुं. ने पछी जयादि देवीओ; अधिष्ठायको, विद्यादेवीओ, यक्ष-यक्षिणीओ, द्वारपाल, वीर, दिक्पाल, नवग्रह अने निधिनुं पूजन करवुं. (४) पछी नीचेना श्लोको बोलवापूर्वक अष्टप्रकारी पूजन करवुं. श्री सिद्धचक्रं वित्फूर्ज-दर्हर्मोहीमनाहतम् । अस्योसास्वरवर्गाढ्यं, निर्मलैः सलिलैर्यजे ॥ १ ॥ अर्चयामि स्वाहा (जल For Private And Personal Use Only पूजा) १

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