Book Title: Siddhachakra Mmahapujan Vidhi
Author(s): Arvindsagar
Publisher: Arunoday Foundation
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
Ach
४९
श्री सिद्धचक्र महापूजन विधि चत्तारि मंडलाइं, सत्तमवग्गेण हंति जुत्ताई। पुढवी-सलिल-हुयासण-पवणं च नहंगणं तत्तं ।।७।। तत्ताई मंडलाइं, मालाविज्झा उ मंतचक्काई। सिझंति हु विज्जाओ, बहुएहिं जावहोमेहिं ।।८।। जं पुण जिणिंदतत्तं, दुल्लहलाहं जयंमि जीवस्स। पुण्णरहिओ ण पावइ, बहुएहिं कालखेवेहिं ।।९।। अट्ठदलकमलमज्झे, सुन्नं नामेण संजुयं देहि। उवरितलरेहरुद्धं, सबिंदु-कलसंजुयं तत्थ।।१०।। झाएह विमलधवलं, सासनिलणं निरक्खरं जाव। तवसंजमसंजुत्तं, सुक्खं देहस्स कम्मस्स ।।११।। अक्खयसुक्खं लब्भइ, किं बहुणा इत्थ अण्णसिद्धीओ। इयरेण अण्णसिद्धी, अइदुलहा सव्वलोयम्मि ।।१२।। परमेट्ठिपञ्चनमणक्खरेहिं वेढेह सरसमाउत्तं । पूरह पुब्वाइदले, अट्ठहि वग्गेहि पत्ताई।।१३।। सत्तक्खरं च मंतं, परमिट्ठिपयाण होइ जं पढमं । तस्संतरेसु दिज्जह, उड्डे कमलस्स रेहाणं । ।१४ ।। वेढेह तिउणपउमं, मायाबीएण धवलवण्णेण | सेयवरभुज्जपत्ते, लिहिज्ज सुहकरणजोएणं ।।१५।। गोरोयणचंदणकुंकुमेण, कप्पुरसुरहिदब्वेण । लिहिअं चामीकरलेहणीए सुइभूमिसुद्धदेसंमि ।।१६।। बहुसुरहिकुसुमअक्खय-नाणाविहधूवबलिनिविज्जेहिं । पूज्जह कलसनिहितं, विसुद्धभूमीइ पयडं वा ।।१७।।
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125