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Ach
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श्री सिद्धचक्र महापूजन विधि चत्तारि मंडलाइं, सत्तमवग्गेण हंति जुत्ताई। पुढवी-सलिल-हुयासण-पवणं च नहंगणं तत्तं ।।७।। तत्ताई मंडलाइं, मालाविज्झा उ मंतचक्काई। सिझंति हु विज्जाओ, बहुएहिं जावहोमेहिं ।।८।। जं पुण जिणिंदतत्तं, दुल्लहलाहं जयंमि जीवस्स। पुण्णरहिओ ण पावइ, बहुएहिं कालखेवेहिं ।।९।। अट्ठदलकमलमज्झे, सुन्नं नामेण संजुयं देहि। उवरितलरेहरुद्धं, सबिंदु-कलसंजुयं तत्थ।।१०।। झाएह विमलधवलं, सासनिलणं निरक्खरं जाव। तवसंजमसंजुत्तं, सुक्खं देहस्स कम्मस्स ।।११।। अक्खयसुक्खं लब्भइ, किं बहुणा इत्थ अण्णसिद्धीओ। इयरेण अण्णसिद्धी, अइदुलहा सव्वलोयम्मि ।।१२।। परमेट्ठिपञ्चनमणक्खरेहिं वेढेह सरसमाउत्तं । पूरह पुब्वाइदले, अट्ठहि वग्गेहि पत्ताई।।१३।। सत्तक्खरं च मंतं, परमिट्ठिपयाण होइ जं पढमं । तस्संतरेसु दिज्जह, उड्डे कमलस्स रेहाणं । ।१४ ।। वेढेह तिउणपउमं, मायाबीएण धवलवण्णेण | सेयवरभुज्जपत्ते, लिहिज्ज सुहकरणजोएणं ।।१५।। गोरोयणचंदणकुंकुमेण, कप्पुरसुरहिदब्वेण । लिहिअं चामीकरलेहणीए सुइभूमिसुद्धदेसंमि ।।१६।। बहुसुरहिकुसुमअक्खय-नाणाविहधूवबलिनिविज्जेहिं । पूज्जह कलसनिहितं, विसुद्धभूमीइ पयडं वा ।।१७।।
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