Book Title: Siddhachakra Mmahapujan Vidhi
Author(s): Arvindsagar
Publisher: Arunoday Foundation
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श्री सिद्धचक्र महापूजन विधि
दिसिवाल-जक्ख-जक्खिणीपमुहसुरकुसुमेहिं अलंकिओ। सो सिद्धचक्कगुरुकप्पतरू, अम्ह मणवंछियफल दिओ।।३।।
जं किंचि-नमुत्थुणं-अरिहंतचेइयाणं-अन्नत्थ-एक नवकारनो काउस्सग्ग करी पारी नमोऽर्हत-कही नीचे प्रमाणे स्तुति बोलवी। श्रीसिद्धचक्रपीठस्थ-मर्हमित्युज्ज्वलं पदम् । ॐ ह्रीं अनाहतोपेतं, वन्दे मन्त्रस्वरावृतम् ।।१।।
लोगस्स-सव्वलोए अन्नत्थ-एक नवकारनो काउस्सग्ग पारी नमोऽर्हत्, स्तुति बीजीश्रीसिद्धचक्राष्टदलस्थसिद्धा-दिसत्पदाराधनतत्पराणाम् । विधीयते यैः स्वपदप्रसाद-स्ते तीर्थनाथा मम शं दिशन्तु ।।२।।
पुक्खरवरदी-सुअस्स भगवओ-अन्नत्थ-काउसग्ग- एक नवकार पारी नमोऽर्हत्-स्तुति त्रीजी। श्रीसिद्धचक्रगुरुमण्डलमूलमन्त्र-वर्गाक्षरस्वरपदावलिवर्णरूपम् । ज्ञानं जिनप्रवचनस्य रहस्यभूतं,भूयान्मुदे मम सदा विशदावदातम्।।३।।
सिद्धाणं बुद्धाणं, वेयावच्चगराणं-अन्नत्थ काउस्साग- एक नवकार पारी नमोऽर्हत्-स्तुति चोथी। श्रेयः श्रीसुविलासवासभवनश्रीसिद्धचक्रस्थिताऽहत्सिद्धादिपदप्रभावविभव-प्राग्भारविस्तारकाः। देवा: श्रीविमलेश्वरप्रभृतयो, देव्यो जयाद्या ग्रहा, दिक्पालाश्च भवन्तु निर्मलदृशः, श्रीसङ्घरक्षाकराः ।।४।।
नमुत्थुणं, जावंति, खमासमणुंजावंत-नमोऽर्हत्-स्तवन नीचे प्रमाणे
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