Book Title: Siddhachakra Mmahapujan Vidhi
Author(s): Arvindsagar
Publisher: Arunoday Foundation

View full book text
Previous | Next

Page 56
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री सिद्धचक्र महापूजन विधि दिसिवाल-जक्ख-जक्खिणीपमुहसुरकुसुमेहिं अलंकिओ। सो सिद्धचक्कगुरुकप्पतरू, अम्ह मणवंछियफल दिओ।।३।। जं किंचि-नमुत्थुणं-अरिहंतचेइयाणं-अन्नत्थ-एक नवकारनो काउस्सग्ग करी पारी नमोऽर्हत-कही नीचे प्रमाणे स्तुति बोलवी। श्रीसिद्धचक्रपीठस्थ-मर्हमित्युज्ज्वलं पदम् । ॐ ह्रीं अनाहतोपेतं, वन्दे मन्त्रस्वरावृतम् ।।१।। लोगस्स-सव्वलोए अन्नत्थ-एक नवकारनो काउस्सग्ग पारी नमोऽर्हत्, स्तुति बीजीश्रीसिद्धचक्राष्टदलस्थसिद्धा-दिसत्पदाराधनतत्पराणाम् । विधीयते यैः स्वपदप्रसाद-स्ते तीर्थनाथा मम शं दिशन्तु ।।२।। पुक्खरवरदी-सुअस्स भगवओ-अन्नत्थ-काउसग्ग- एक नवकार पारी नमोऽर्हत्-स्तुति त्रीजी। श्रीसिद्धचक्रगुरुमण्डलमूलमन्त्र-वर्गाक्षरस्वरपदावलिवर्णरूपम् । ज्ञानं जिनप्रवचनस्य रहस्यभूतं,भूयान्मुदे मम सदा विशदावदातम्।।३।। सिद्धाणं बुद्धाणं, वेयावच्चगराणं-अन्नत्थ काउस्साग- एक नवकार पारी नमोऽर्हत्-स्तुति चोथी। श्रेयः श्रीसुविलासवासभवनश्रीसिद्धचक्रस्थिताऽहत्सिद्धादिपदप्रभावविभव-प्राग्भारविस्तारकाः। देवा: श्रीविमलेश्वरप्रभृतयो, देव्यो जयाद्या ग्रहा, दिक्पालाश्च भवन्तु निर्मलदृशः, श्रीसङ्घरक्षाकराः ।।४।। नमुत्थुणं, जावंति, खमासमणुंजावंत-नमोऽर्हत्-स्तवन नीचे प्रमाणे For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125