Book Title: Siddhachakra Mmahapujan Vidhi
Author(s): Arvindsagar
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 58
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री सिद्धचक्र महापूजन विधि ततो लकारमाध-स्तटयोरुभयोर्बहिः। सिद्धचक्रमिदं यन्त्रं, ध्यायतां कल्पितप्रदम् ।।१२।। स्तम्भे पीतं सितं शान्ती, विद्वेषे धूमसन्निभम् । वश्ये रक्तं शिवेऽभ्राभं, खेचरत्वे मणिप्रभम् ।।१३।। ज्ञात्वा गुरुमुखाद् ध्यानं, षट्कर्मसु यथोचितम् । त्यजन् निन्धं भजन वन्द्यं, ध्याता कुर्यानिरन्तरम् । १४ ।। ।।इति श्रीसिद्धचक्रस्वरूपस्तवनम् ।। जयवीयराय संपूर्ण कहेवा ।। ।। इति देववन्दन।। पछी सिद्धचक्रस्तोत्र हाथ जोडीने कहेवू । ॥अथ सिद्धचक्रस्तोत्रम् ।। ऊर्ध्वाधो रयुतं सबिन्दुसकलं ब्रह्मस्वरावेष्टितं, वर्गापूरितमष्टपत्रममलं सत्सन्धितत्त्वार्पितम् ।। अन्तःपत्रतटेष्वनाहतपदं, ह्रींकारसंवेष्टितं, देवं ध्यायति यः पुमान् स भवति, वैरीभकण्ठीरवः ।।१।। यद्वर्गाष्टकपूरितं वरदलं सानाहतं नीरज, यच्चौंकारकलापबिन्दुकलितं मध्ये त्रिरेखाञ्चितम् ।। यत्सर्वार्थकरं परं गुणवतां, कालत्रये वर्तिनां, तत् क्लेशौघविनाशनं भवतु नः श्रीसिद्धचक्रेश्वरम् ।।२।। शब्दब्रह्मैकलीनं प्रबलबलयुतं सर्वतत्त्वप्रभावं, सानन्दं सर्वभद्रं गणधरवलयं दुःखपाशप्रणाशम् ।। For Private And Personal Use Only

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