Book Title: Siddhachakra Mmahapujan Vidhi
Author(s): Arvindsagar
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 42
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २८ श्री सिद्धचक्र महापूजन विधि ॐ क्लौं ब्लौं लाँ वाँ ही वामनाय स्वगणपरिवृताय इदमयँ पाद्यं गन्धं पुष्पं धूपं दीपं चरुं फलं स्वस्तिकं यज्ञभागं यजामहे प्रतिगृह्यतां प्रतिगृह्यतामिति स्वाहा ।।३।। ॐ क्लौं ब्लौं लाँ वाँ ह्रीं पुष्पदन्ताय स्वगणपरिवृताय इदमयँ पाद्यं गन्धं पुष्पं धूपं दीपं चरुं फलं स्वस्तिकं यज्ञभागं यजामहे प्रतिगृह्यतां प्रतिगृह्यतामिति स्वाहा ।।४।। __ आ चार द्वारपालनी पूजा चणानी दाळना, चार लाडवा, पीळा फूल अने फळथी करवी। ॥इति द्वारपालपूजा।। ॐ ह्रीं ह्युं माणिभद्राय स्वगणपरिवृताय इदमयँ पाद्यं गन्धं पुष्पं धूपं दीपं चरुं फलं स्वस्तिकं यज्ञभागं यजामहे प्रतिगृह्यतां प्रतिगृह्यतामिति स्वाहा।।१।। ॐ ह्रीं सयु पूर्णभद्राय स्वगणपरिवृताय इदमयँ पाद्यं गन्धं पुष्पं धूपं दीपं चकं फलं स्वस्तिकं यज्ञभागं यजामहे प्रतिगृह्यतां प्रतिगृह्यतामिति स्वाहा ।।२।। ॐ ह्रीं शल्यु कपिलाय स्वगणपरिवृताय इदमयँ पाद्यं गन्धं पुष्पं धूपं दीपं चकं फलं स्वस्तिकं यज्ञभागं यजामहे प्रतिगृह्यतां प्रतिगृह्यतामिति स्वाहा ।।३।। ॐ ह्रीं यु पिङ्गलाय स्वगणपरिवृताय इदमयं पाद्यं गन्धं पुष्पं धूपं दीपं चरुं फलं स्वस्तिकं यज्ञभागं यजामहे प्रतिगृह्यतां प्रतिगृह्यतामिति स्वाहा ।।४।। प For Private And Personal Use Only

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