Book Title: Siddhachakra Mmahapujan Vidhi
Author(s): Arvindsagar
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 48
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ३४ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री सिद्धचक्र महापूजन विधि पछाडवापूर्वक वित्रासन करवुं । (२) दुष्ट दिव्य देवोनुं ऊँची क्रूर दृष्टि फेंकवापूर्वक वित्रासन करवुं । (३) दुष्ट दिशाचर देवोनुं त्रण ताळी पाडवापूर्वक वित्रासन करवुं । ।। इति दुष्टवित्रासनम् || ।। अथ स्नात्रम ।। स्वस्ति स्वस्ति नमोऽस्तु ते भगवते, त्वं जीव जीव प्रभो! भव्यानन्दन नन्द नन्द भगवन्नस्त्रिलोकीगुरो ! त्वन्मूलाक्षरमन्त्रमण्डलमयश्रीसिद्धचक्रक्रमप्राप्तस्नात्रमिदं शुभोदयकृतेऽस्माभिः समारभ्यते । । १ । । ।। अथ कलशाधिवासनम् ।। ॐ ह्रीं श्रीं धृति - कीर्ति-बुद्धि-लक्ष्मी - शान्ति-तुष्टि-पुष्टयः एतेषु नवकलशेषु कृताधिवासा भवन्तु भवन्तु स्वाहा ।। आ मंत्र बोलवापूर्वक दरेक स्नात्र पूर्वे नवे कलशोनुं अधिवासन करवुं । ॐ क्षां क्षीं क्षीरसमुद्रोद्भवानि क्षीरोदकान्येषु स्नात्रकलशेष्ववतरन्त्ववतरन्तु संवौषट् । । आ मंत्रथी दूध मंत्रीने कळशोमां भरवुं । ।। अथ क्षीरस्नात्रम् ।। For Private And Personal Use Only ॐ नमोऽर्हत्-सिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधुभ्यः । । पुण्याहं तदहः क्षणोऽयमनघः पूजास्पदं तत्पदं, सर्वास्तीर्थभुवोऽपि ता जलभृतस्तद्वारि हारि प्रभोः ।

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