Book Title: Shubhshil shatak
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 14
________________ श्रीः प्रौढ़विद्वान् श्री शुभशीलगणि रचित पञ्चशतीप्रबोध-सम्बन्ध ( प्रबन्ध - पञ्चशती) पर आधारित शुभशीलशतक प्रथम तीर्थंकर भगवान् युगादिदेव, अन्तिम तीर्थंकर भगवान् महावीर, केवलज्ञानधारी सामान्य जिन और पुण्डरीक गणधर आदि गुरुजनों को बोधि अर्थात् सम्यक्त्व/समाधि प्राप्ति के लिए मैं नमस्कार करता हूँ । कुछ गुरुजनों के मुख से सुनकर, कुछ स्व- शास्त्रों को देखकर और अन्य शास्त्रों का अवलोकन कर मैं इस पञ्चशती - प्रबोध-सम्बन्ध नाम के ग्रन्थ की रचना करता हूँ । श्री लक्ष्मीसागरसूरिजी के चरण-कमलों की कृपा से शुभशील नामक शिष्य यह रचना कर रहा है। Jain Education International शुभशीलशतक For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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