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बकरी ने समयोचित्त बुद्धि का प्रयोग करते हुए, उसके दिल को रखते हुए उत्तर दिया - हे पुत्र अजय ! आसोज सुदि नवमी यदि विघ्न रहित बीत जायेगी तो मैं तेरे सींगों को अवश्य ही सजा दूँगी।
उसी वार्ता के दौरान शिकार के लिए आये हुए राजा भीम ने यह बात सुनी। भीम के हृदय में करुणा भाव जागृत होने से उसने यह निर्णय लिया - 'मैं दशहरा पर्व पर किसी जीव की बलि नहीं दूँगा, किन्तु परम्परा का पालन करते हुए जीवों के स्थान पर अन्य मिठाई आदि की बलि अवश्य चढ़ाऊँगा । '
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आँखें मूंद जाने के बाद?
एक चोर राजा भोज के महलों में चोरी करने के लिए पहुँचा । प्रयत्न करके जैसे-तैसे वह उस महल में पहुँच गया जहाँ राजा भोज सो रहे थे । उसने देखा कि राजा भोज जग रहे हैं और बारम्बार निम्न श्लोक के ३ पादों का उच्चारण कर रहे हैं
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चेतोहरा
सद्बान्धवाः वल्गन्ति
अर्थात् - चित्त को हरण करने वाली सौन्दर्यवती और रूपवती तरुणियाँ जिनके बगल में हों, समस्त परिवार वाले जिनकी इच्छानुसार चलते हों, सहृदय एवं कुलीन मित्रजन हों, मधुर भाषी नौकर-चाकर हों और जिसकी सेना में हाथियों का झुण्ड तथा वेगवान घोड़े हों
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स्वजनो ऽनुकूलः,
युवतयः प्रणयगर्भगिरश्च दन्तिनिवहास्तरलास्तुरङ्गाः,
भृत्याः ।
किन्तु इस श्लोक के चौथे चरण की पूर्ति नहीं हो पा रही थी। इसी उधेड़बुन में महाराजा भोज करवटें बदलते हुए इस श्लोक के तीन चरणों का उच्चारण कर रहे थे। चोर चोरी करने आया था । वह भी विद्वान् था उससे रहा नहीं गया और झटपट बोल उठा - 'सम्मीलने नयनयोर्न हि किञ्चिदस्ति' नेत्र बंद हो जाने के बाद कुछ भी शेष नहीं रहता है ।
अर्थात् - जीवन समाप्ति के बाद सब कुछ समाप्त हो जाता है।
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शुभशीलशतक
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