Book Title: Sakaratmak Sochie Safalta Paie
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

View full book text
Previous | Next

Page 16
________________ सकारात्मक सोचिए : सफलता पाइए यह प्रकृति ध्वनि और प्रतिध्वनि के सिद्धान्त पर आधारित है। जैसा बिम्ब होगा, वैसा ही प्रतिबिम्ब बनेगा । प्रकृति की व्यवस्था तो ऐसी है कि वह एक वस्तु को कई गुना करके वापस लौटाती है। एक बीज के बदले लाखों फल वापस लौटते हैं। आपके एक क्रोध की प्रतिक्रिया भी कई गुना होकर वापस क्रोध के रूप में आती है । अगर आप एक मधुर गीत गाते हैं या मुस्कान का एक फूल बिखेरते हैं तो वह दस गुना होकर ही लौटेगा। स्वयं के द्वारा सद्व्यवहार करना दूसरों की ओर से सद्व्यवहार पाने का अमृत मार्ग है। किसने आपके साथ क्या किया, यह कोई मायने नहीं रखता। आप अपनी ओर से कैसा व्यवहार और सलूक करते हैं, यह मूल्यवान है । कोई आप पर अँगुली न उठा सके, इस बात का ख्याल रखें। अपनी ओर से इतना शालीन व्यवहार करें कि आपके अधीनस्थ, आपके समकक्ष, आपका परिवार, मित्र और अन्य सभी आप पर गर्व कर सकें। ऐसा अवसर ही क्यों आये कि कोई आपके साथ बदतमीजी करे । अरे, दूसरा बदतमीजी भी तभी करता है जब आप अपनी तमीज छोड़ देते हैं वरना किसे फुर्सत है कि वह जानबूझकर किसी से टकराये ? चूक स्वयं से ही होती है। जीवन को ऐसा बनायें कि जिस रास्ते से गुजरो, वहाँ हजार-हजार हाथ आपके स्वागत-समर्थन में उठ जायें। तुम अपने जीवन को ऊँचा उठाओ। अपने विचार, जीवन शैली, व्यवहार और कर्तव्य को आदर्शमय बनाओ। अभी तो तुम्हें चुनाव लड़कर अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करनी पड़ती है। अरे, स्वयं को इतना योग्य बनाओ कि समाज तुम्हारे घर आये और कहे कि तुम समाज के लीडर बनो। इसमें तो मजा है, इसमें तुम्हारे जीवन का आदर्श है। लौटकर वही आता है जो आप परोसते हैं । दूसरे के बुरे व्यवहार को स्वीकार ही मत करो । जैसे ही आप उसे स्वीकार करते हैं, वह आपके दिमाग पर हावी हो जाता है और क्रिया की प्रतिक्रिया शुरू हो जाती है। 9 एक सुन्दर सी मनोवैज्ञानिक घटना है। किसी समय घर में माँ-बेटा झगड़ पड़े। बेटे ने कोई गलती की थी कि माँ ने डाँट दिया। बेटे को माँ के प्रति इतना गुस्सा आ गया कि वह माँ से नाराज हो गया। कहने लगा, 'माँ, तुमने मुझे Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122