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सकारात्मक सोचिए : सफलता पाइए
मुझे याद है, कोई पच्चीस वर्ष पूर्व मैं 'निरमा' के मालिक को अहमदाबाद की सड़कों पर लिक्विड सोप बेचते हुए देखा करता था। उसने मेहनत की, दिल लगाकर मेहनत की और आज देख सकते हैं 'निरमा' कहाँ से कहाँ पहँच चुका है। साबुन के रूप में तो वह छाया ही है किन्तु उसके साथ शैक्षणिक, अनुसंधान व चिकित्सा के क्षेत्र में भी ‘निरमा' अग्रणी हो चुका है। अगर कोई कड़ी मेहनत करता है तो टाटा, बिरला या अंबानी बन सकता है। वह ऊँचाइयों को छु सकता है। प्रकृति तो सभी को देती है लेकिन मिलता उसे है जो पाने के लिए मेहनत करता है।
मैं उस तकदीर में विश्वास करता हूँ जिसे पाने के लिए व्यक्ति मेहनत करे। किस्मत उसी को परिणाम देती है जिसने मेहनत की हो। आप देखिए, एक चिड़िया को चार दाने पाने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है। दुनिया में कोई चीज मुफ्त नहीं मिलती। कुनकुने प्रयासों से काम न होगा। असफलता का मूल कारण आधे-अधूरे प्रयास हैं। जो लोग अपनी पूर्ण जीवन-शक्ति नहीं लगा पाते, वे असफल हो जाते हैं। पन्द्रह प्रतिशत जीवन-शक्ति का उपयोग करने वाले विफल होते हैं। हर व्यक्ति को अपनी सम्पूर्ण ऊर्जा प्रत्येक लक्ष्य के लिए लगानी पड़ेगी। यदि तुम विद्यार्थी हो तो पढ़ाई में अपनी पूरी ऊर्जा लगा दो। तुम अवश्य ही प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण होओ। तुम्हें सालभर मिला है पढ़ने के लिए, फिर केवल परीक्षा के दिनों में अपनी रातें क्यों खराब करते हो? पूरी मेहनत करो, परीक्षा तो तुम्हारे लिए कसौटी है यह जानने की कि तुमने क्या और कितनी पढ़ाई की?
आप अपने-अपने कार्य-क्षेत्र का चयन कर लें। फिर उसमें तन-मन से लग जाएँ। आप जिसे भी चुनें, उसमें अपनी रवानगी, जोश इच्छाशक्ति को लगाकर तन्मय हो जायें। जो भी क्षेत्र हो साधना, शिक्षा, चिकित्सा, वकालत, वैज्ञानिक, व्यापार, नौकरी या अन्य, जब तक अपने क्षेत्र में सफल न हो जायें तब तक विश्राम न लें। आपका लक्ष्य प्रतिपल आपके सामने रहना चाहिए। इतना ही नहीं, अपना आदर्श भी ऊँचा रखें ताकि आप आगे बढ़ते रह सकें। आप जो कार्य कर रहे हैं, उसे सुधारते रहने का भी प्रयास कीजिये। निरन्तर
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