Book Title: Sakaratmak Sochie Safalta Paie Author(s): Chandraprabhsagar Publisher: Jityasha FoundationPage 76
________________ स्वभाव बदलें, सौम्यता लाएँ तलाश और बेटे के लिए कन्या की तलाश बड़ी सजगता से करते हैं, उतनी ही सजगता से हम अपने जीवन में किसी मित्र का भी चयन करें। मित्र व्यक्ति के जीवन को अवश्यमेव प्रभावित करता है। अगर हमारी मित्र-मण्डली गलत है तो हमारा स्वभाव और हमारी प्रवृत्तियाँ गलत हो जायेंगी। हमारी मित्र-मण्डली अगर अच्छी है तो मान कर चलें कि हमारा स्वभाव और हमारी प्रवृतियाँ भी अच्छी होंगी। कोई मुझसे पूछे कि कौन व्यक्ति कैसा है तथा उसे मापने का थर्मामीटर क्या है, तो मैं यही कहूँगा कि किसी भी व्यक्ति को जाँचना और परखना हो तो हम केवल उसकी मित्र-मण्डली को देख लें। जिन्दगी में सबसे पहले मित्र बनाते समय सजगता बरतनी चाहिए। तुम्हारी जिन्दगी में कोई मित्र नहीं है तो कोई गम नहीं, पर यदि मित्र बनाओ तो श्रेष्ठ स्वभाव वाले व्यक्ति को ही अपना मित्र बनाओ। सौ मूर्ख और सौ बेईमान लोगों को मित्र बनाने की बजाए किसी बुद्धिमान व्यक्ति का शत्रु होना श्रेष्ठ है। एक बुद्धिमान शत्रु फिर भी चल जाएगा, मगर बेईमान, मूर्ख और गलत रास्तों पर चलने वाले की मित्रता हमारे लिए आत्मघातक बनेगी। हम अपनी जिन्दगी में यह अफसोस करते हैं कि हमारा बच्चा दुराचारी है; तो मैं कहूँगा कि इसके व्यवस्थापक हम स्वयं हैं ? क्योंकि हमने अपने बच्चे को अच्छे मित्र नहीं दिए। हम अपनी संतानों को अच्छे मित्र दे पाने में कामयाब न हुए। अगर हम पहले चरण में ही लक्ष्मण-रेखा खींच देते तो शायद आज यह नौबत न आती कि हमें प्रायश्चित करना पड़ता तथा आँसू ढुलकाने पड़ते। इसके लिए केवल हमारा बच्चा ही जवाबदेह नहीं है, वरन् हमारी असावधानी भी उतनी ही जवाबदेह है। कहावत है कि काले व्यक्ति के पास अगर कोई गोरा बैठेगा, तो रूप नहीं तो अक्ल तो जरूर उसमें आएगी ही। जिस व्यक्ति के साथ हम बैठेंगे तथा हमें जैसी संगत मिलेगी, वह अपनी रंगत तो आखिर वैसी ही दिखाएगी। कहते हैं कि जम्बुकुमार जब संन्यास लेने का संकल्प ले चुके होते हैं और वैराग्य-वासित होकर वे अपनी आठ पत्नियों को जीवन के प्रशस्त पथ का Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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