Book Title: Sakaratmak Sochie Safalta Paie Author(s): Chandraprabhsagar Publisher: Jityasha FoundationPage 98
________________ प्रेम : जीवन का पुण्य पथ रहा क्योंकि उसके दिमाग में फाँसी का फंदा झूल रहा था। राजा के एक रानी और थी। उसे राजा ने महल से निकाल दिया था। वह उपेक्षित-सी गरीबी में जीवन बिताती हुई एक झोंपड़ी में रहती थी। राजा ने उसे उपकृत करने के लिए चोर को उसके यहाँ भी भोजन करने भेज दिया। गरीब रानी ! उसके पास साधारण-सा खाना था और सौगात में देने को कुछ भी नहीं था। चोर ने जब खाना देखा तो चौंक गया। इस रानी की यह हालत ! रानी चोर के पास आई और स्नेह से बोली, 'तुम यह खाना प्यार से खा लो। मेरे पास तुम्हें देने के लिए हजारों रुपये नहीं हैं, पर राजा से मैंने तुम्हारे लिए फाँसी से मुक्ति माँग ली है। यही मैं तुम्हें उपहार में दे रही हूँ, अब तुम्हें प्राण-दण्ड न मिलेगा।' चोर ने कहा, 'माँ, यह तुम क्या कह रही हो ?' 'सच कह रही हूँ राजा ने तुम्हारी फाँसी की सज़ा माफ कर दी है।' ___चोर रोने लगा और रानी के पाँवों में गिरकर बोला, 'माँ, तुमने मुझे वह सौगात दी है, वह उपहार दिया है जिसके लिए मैं जीवन भर तुम्हारा ऋणी रहूँगा। मैं तुम्हारे चरणों की सौगन्ध खाकर कहता हूँ माँ, आज के बाद कभी चोरी नहीं करूँगा।' किसी के प्यार से एक आदमी का जीवन सुधर जाता है। सभी इंसान तो एक जैसे हैं, फिर किस बात का अहं ? कौन बड़ा, कौन छोटा ? धन-सम्पत्ति के कारण शायद फर्क कर सकते हो, लेकिन इंसानियत के नाते तो किसी के बीच कोई फर्क नहीं होना चाहिए। कली को अगर जीतना है तो जीतो मधुर मनुहार से, हिरण को अगर जीतना है तो जीतो मधुर झंकार से', अगर किसी को जीतना है तो उसे तलवार से जीता तो क्या जीता ? अगर जीतना है सबको तो जीतो अपने प्रेम भरे व्यवहार से। प्रेम की विजय ही सबसे बड़ी विजय है। हथियारों से प्राप्त विजय अन्ततः हार में बदल जाती है। हथियारों से जान ली तो जा सकती है, पर किसी को जान दी नहीं जा सकती। प्रेम के बल पर जान नहीं ली जा सकती, पर किसी मरते हुए को जान जरूर दी जा सकती है। तुम अपने जीवन को प्रेम से जोड़ो, अपना पथ प्रेम का पथ बनाओ। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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