Book Title: Sakaratmak Sochie Safalta Paie
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 105
________________ SW मेरे प्रिय आत्मन्, मनुष्य जीवन का सबसे बड़ा सत्य यह है कि वह जैसा भी है, स्वयं की वजह से ही है। वह अच्छा-बुरा, गुणवान या दुर्बुद्धिशील, सुखी या दुखी, जैसा भी है, अपने ही कारण है। अगर वह बंधन में है तो उसने बँधना ही चाहा और मुक्त होगा तो मुक्त होने का संकल्प उसके भीतर पनप चुका होगा। जैसा भी है, अपने ही कारण है। भले ही हम नियति को दोष दें या समय को, कर्म या परमात्मा को दोष दें, लेकिन जवाबदेह व्यक्ति अपने कंधों का बोझ दूसरों पर नहीं डालता। वह अपने श्रेय और पतन की जिम्मेदारी अपने आप पर लेता है। वातावरण, परिवार भी प्रभावी हो सकता है, शिक्षा और संस्कार भी असर डालते हों, लेकिन इन सबसे ऊपर व्यक्ति का स्वभाव, समझ, सोच और जीने की शैली अधिक प्रभाव डालते हैं। मैं दो ऐसे महानुभावों से मिला जो सगे भाई थे। उनमें से एक शराबी, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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