________________
106
सकारात्मक सोचिए : सफलता पाइए
मन को जीतना ही कठिन है। मन को बदलना ही कठिन है। मन को व्यवस्थित करना ही चुनौती है। मन को व्यवस्थित करना स्वयं में ही एक श्रेष्ठ साधना है। मन को व्यवस्थित करना खुद को व्यवस्थित करना है। आखिर, जीवन की हर गतिविधि का प्रेरक मन ही है। आप मन की चौकीदारी कीजिए। उसकी देखभाल कीजिए। उसकी सार-सम्हाल कीजिए। अपने मन की दशा को समझने के लिए हम अपने उन घेरों को समझें जिनसे हम घिरे हुए हैं। जिसकी मानसिकता जितनी क्रूर और निकृष्ट है, उसकी लेश्या उतनी ही निकृष्ट होती है। जिसकी मानसिकता जितनी सरल और सौम्य है, उसकी लेश्या उतनी ही श्रेष्ठ है। लेश्या की श्रेष्ठता के लिए अपनी मानसिकता बेहतर बनाएँ। ___ पहली लेश्या कृष्ण लेश्या है। आप बाहर से काले हों या गोरे लेकिन आपका एक आभामंडल होता है जिसे किरलियॉन फोटोग्राफी द्वारा लिया जा सकता है। पेड़-पौधे, फूल-पत्ती सबका आभामंडल होता है और यह बाहरी तत्त्वों से प्रभावित होता है। स्नेह मिलने पर अनुराग से भर उठता है और दूषित भावों के सम्पर्क से कुम्हला जाता है। वह अनुरोध करता है कि मुझे मत तोड़ो। अगर कोई गर्भपात करवाता है तो गर्भस्थ शिशु भय से सिकुड़ जाता है। जैसे तुम्हारा अंग-भंग किया जाय तो तुम पीड़ा से भर जाते हो और चाहते हो कि तुम्हें न काटा जाय उसी तरह गर्भ का शिशु भी तुमसे अनुरोध करता है कि उसे मत निकालो, उसे मत काटो।
व्यक्ति के विचार की ऐसी धाराएँ जिनका रंग काला होता है वे अत्यन्त क्रूर होते हैं। इतने क्रूर कि वे हर क्रूरता की सीमा को लांघ जाते हैं। अभी कुछ वर्ष पूर्व लंदन में एक व्यक्ति पकड़ा गया जिसने एक महिला की हत्या की थी। हत्या ही न की अपितु उसके टुकड़े-टुकड़े करके अपने घर में यहाँ-वहाँ सजा दिये। दुनिया में मनुष्य जैसा क्रूर तो जानवर भी नहीं होता। वह जब अपनी पशुता पर उतर आता है तो पशुओं को भी लज्जित कर देता है। दिल्ली में घटित तंदूर कांड तो आपकी स्मृति में होगा ही जिसमें महिला की हत्या कर तंदूर में डाल दिया गया। जैसे रोटी सेंकते हैं, महिला को भी वैसे ही भून डाला। चंगेज खाँ, तैमूरलंग, नादिरशाह, हिटलर, स्टॉलिन ये सब क्रूरता की मिसाल हैं।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org