Book Title: Sakaratmak Sochie Safalta Paie
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 75
________________ 60 सकारात्मक सोचिए : सफलता पाइए द्वारा कही गई बात का अनुरोध किया। धर्मराज ने कहा, 'क्या तू उस कबाड़ी को स्वर्ग के दरवाजे पर ही छोड़ आया ? तेजी से जा। मैं जानता हूँ उसे क्योंकि कबाड़ी तो कबाड़ी ही रहेगा। जो जिन्दगी भर कबाड़े के काम करता रहा, वह मरकर कबाड़ा के काम न करे, यह कैसे संभव है ? जा, दौड़कर जा, कहीं वह कुछ और चौपट न कर दे।' चौकीदार दौड़ा, कबाड़ी को ढूँढने के लिए, पर वापस लौटा तो देखकर चौंक पड़ा कि न तो वहाँ पर कबाड़ी था और न ही स्वर्ग के दरवाजे। __कबाड़ी स्वर्ग के दरवाजों तक पहुँच कर भी स्वर्ग के दरवाजों को ही कबाड़ना चाहेगा। जो आदमी जीते जी न सुधर पाया, क्या वह मर कर सुधर पाएगा? जो जीते जी स्वयं को सुधारने के लिए संकल्पशील न हुआ, वह मरकर कभी खुद को सुधारने का संकल्प ले सके, यह मुमकिन नहीं है। आदमी के स्वभाव पर, उसकी प्रकृति तथा उसकी नेचर पर जो चीजें सबसे ज्यादा असर करती हैं, उनमें संगति, घर-परिवार, फिल्में, टी.वी., किताबें प्रमुख हैं। ध्यान रखिए, जीवन तो खेती की तरह है। यदि गलत बोयेंगे तो गलत ही पायेंगे। अच्छा बोयेंगे, अच्छा पायेंगे। स्वभाव और आदत यकायक घर नहीं करते। धीरे-धीरे इनकी जड़ें मजबूत होती हैं। हाथी कितना शक्तिशाली होता है, कितना विशाल होता है। क्या आदमी के लिए संभव है कि वह उसे वश में कर सके ? सैकड़ों घरों और आदमियों को कुचलने के लिए एक अकेला हाथी काफी होता है, पर वही हाथी छोटे-से अंकुश से, जंजीर से नियंत्रित हो जाता है। सिगरेट, शराब, जुआ या क्रोध, मान, माया, प्रपंच ये सब भी हमें वैसे ही वश में कर लेते हैं। वश में भी ऐसे कि हम उनके आगे अपनी नाक रगड़ते और अपनी सूंड नमाते नजर आते हैं। अच्छी आदत डालो भाई, अच्छे संस्कार, अच्छा व्यक्तित्व बनाओ भाई ! आदमी के स्वभाव पर जिस पहले तत्त्व का प्रभाव पड़ता है वह व्यक्ति की अपनी मित्र-मण्डली होती है। व्यक्ति को जैसे मित्र मिलते हैं, व्यक्ति का स्वभाव भी वैसा ही प्रभावित होता है। जैसे हम अपनी बेटी के लिए वर की Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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