Book Title: Sakaratmak Sochie Safalta Paie Author(s): Chandraprabhsagar Publisher: Jityasha FoundationPage 80
________________ स्वभाव बदलें, सौम्यता लाएँ ऐसे व्यक्ति को देखा है जिसे जब देखो तब गुस्सा आ जाता था, जब देखो तब वह गाली-गलौज करता रहता था। मैंने कई-कई वर्षों तक उस व्यक्ति को देखा। उस व्यक्ति को समझाने की कोशिश भी की, पर जब वह व्यक्ति न माना तो मैंने पच्चीस मिनट अपने आपके लिए समर्पित कर दिए। उस व्यक्ति के साथ बिताए गए पच्चीस साल का लेखा-जोखा मेरे केवल पच्चीस मिनट में ही पूरा हो गया। मैं बदल गया, मेरी फिजाएँ बदल गईं, मेरे लोग बदल गए, मेरा वातावरण बदल गया। ___ घर-परिवार का वातावरण घर वालों को सुखद भी बनाता है और दु:खद भी। घर का वातावरण घर को स्वर्ग भी बनाता है और नरक भी। कुछ दिन पहले की बात है। एक व्यक्ति के घर पर पुलिस ने दस्तक दी। घंटी बजी तो आदमी रात के दो बजे जगा। उसने पूछा, 'कौन ?' खिड़की में से नीचे झाँक कर देखा तो चौंक पड़ा और सोचने लगा कि मेरे जैसे आदमी के घर में पुलिस का क्या काम ! नीचे जाकर वह उसके सामने पहुँचा। पुलिस ने उसे एक चित्र दिखाया और पूछा कि क्या आप पहचानते हैं कि यह चित्र किसका है?' उसने कहा, 'हाँ, मैं पहचानता हूँ, यह मेरा अपना बेटा है। पुलिस ने बताया कि हम उसे गिरफ्तार करने के लिए आए हैं। उसने पूछा, 'क्यों ? क्या हुआ? आखिर उसने ऐसा क्या किया?' वे बोले, 'तुम्हारे बेटे ने कल इंडिया गेट के सामने कुछ लड़कियों के साथ छेड़खानी की थी।' वह भीतर गया। अपने बेटे को जगाया और पूछा, ‘बाहर पुलिस खड़ी है। सच-सच बताओ कि क्या तुमने इंडिया गेट पर कुछ लड़कियों के साथ छेड़खानी की थी? बच्चे ने शर्म से अपनी आँखें झुका लीं। पिता बाहर आया और उसने कहा कि मेरा बेटा भीतर है। आप उसे गिरफ्तार कर सकते हैं।' पुलिस इंस्पेक्टर चौंक पड़ा। अपने बेटे को बचाने की बजाय पिता अपने पुत्र को गिरफ्तार करवा रहा है। लड़के को गिरफ्तार कर लिया जाता है। जब बेटे को लेकर इंस्पेक्टर सीढ़ियाँ उतरने लगता है तो पिता हाथ के इशारे से इंस्पेक्टर. को वापस बुलाता है। उसे पाँच हजार रुपये थमाते हुए कहता है, 'इंस्पेक्टर साहब ! यह राशि अपने पास रखिए। यह राशि अपने बेटे को छुड़ाने के लिए Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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