Book Title: Sakaratmak Sochie Safalta Paie
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 86
________________ स्वभाव बदलें, सौम्यता लाएँ 79 अपने जीवन में अपनाइए। आप धर्म के भले ही नियम, कायदे-कानून न अपना पाएँ, लेकिन आप अपने जीवन में सहजता, सरलता, प्रामाणिकता, पवित्रता, प्रेम, शांति, करुणा और आनंद जैसे जीवन-मूल्यों को धारण कीजिए। शायद ये ही वे तत्त्व हैं जिनसे आपका स्वभाव और आपके संस्कार बदलते हैं और आप अपने स्वभाव पर विजय प्राप्त करते हैं। आप अपनी ओर से पूरा-पूरा प्रयास कीजिए कि हमेशा औरों के प्रति आपसे अच्छा सलूक हो। आप अपने उग्र स्वभाव पर विजय प्राप्त कीजिए। कहीं ऐसा न हो कि आपका उग्र स्वभाव आपके घर के वातावरण को भी कलुषित कर डाले। दुनिया में कोई उग्रवादी को पसंद नहीं करता। न देश पसंद करता है और न समाज। घर वाले भी उसे पसंद नहीं करते। जब भी हम उग्र स्वभाव से घिरते हैं, माफ करें, अगर हमें भी उस समय कोई उग्रवादी कह दे तो आपको कैसा लगेगा? मनुष्य का उग्र स्वभाव बिल्कुल घातक गेंदबाजी है। जिस पर भी जाकर वह गेंद लगेगी, उससे या तो वह बोल्ड होगा या फिर उसका छक्का लगेगा। दोनों में से एक काम होगा या तो वह आउट हो जाएगा, या फिर वह उग्रता के आधार पर तुम्हारी गेंद को ग्राउंड के बाहर फेंक देगा। __ हम शीतल पेय पिएँ, शीतल पेय पिलाएँ। खुद भी ठंडे मिजाज के साथ जिएँ और औरों के साथ भी ठंडे मिजाज के साथ पेश आएँ। अपने उग्र स्वभाव पर अपना अंकुश रखें। यह भी देख लें कि क्या हमारा स्वभाव उग्र है ? हममें से जितने लोग बैठे हैं, वे जरा एक पल के लिए अपने मन को देखें कि क्या हकीकत में हमारा स्वभाव उग्र है ? हम स्वीकार करें पहले चरण में कि हाँ, हमारा स्वभाव उग्र है। जब तक हम स्वीकार ही नहीं करेंगे, तब तक हम अपने आपको बदल ही कैसे पायेंगे? जब हम स्वीकार कर लेंगे, तभी तो हम सोच सकेंगे कि हम अपनी उग्रता को कैसे छोड़ें? आदमी की आदत ऐसी बन गई है कि जब तक वह दिन में दो, चार अथवा दस दफा उग्रता से न बोल ले, तब तक उसको रोटी खानी भी नहीं सुहाती। मैंने पाया है कि जितने भी लोग उग्र स्वभावी होते हैं, वे दुनिया में Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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