Book Title: Sakaratmak Sochie Safalta Paie
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 85
________________ 78 सकारात्मक सोचिए : सफलता पाइए कौन-से धर्मपंथ का अनुसरण किया ? कौन बदलेगा आदमी को ? खुद ही बदल पायेंगे अपने आपको। मुझमें किसी को बदलने की ताकत नहीं है। तुम्ही बदल पाओगे। जिस दिन तुम अपने आपको बदलने का संकल्प कर लोगे, तुम बदल ही जाओगे। कहते हैं कि हिमालय में एक व्यक्ति अपने गुरु की तलाश के लिए पहँचा। वह बर्फ की कंदराओं के बीच पहँच गया। वहाँ जाकर देखा, पूछताछ की तो एक वीतरागी संत की जानकारी मिली। उसने सोचा, पहले पड़तालें तो सही कि गुरु काम का भी है या नहीं। गुरु बनाने जैसा है या नहीं। गया और कहने लगा, ‘महाराज, मैं बहुत दूर से आया हूँ। ठंड के मारे ठिठुर रहा हूँ। अगर थोड़ी-सी आग की व्यवस्था करवा दें तो मेरी ठिठुरन मिट जाए।' संत ने कहा, 'भाई, हम आग को नहीं छूते हैं। हमारे पास आग नहीं है।' उसने कहा, 'महाराज ! बहुत जोर से ठिठुर रहा हूँ, मेरी हड्डी-हड्डी अकड़ी जा रही है। अगर थोड़ी-सी भी आग की व्यवस्था हो जाए तो बड़ी कृपा होगी।' गुरु ने कहा, 'भई मैंने कहा न कि हम लोग आग नहीं रखते हैं।' उसने फिर कहा, 'महाराज, इत्ती-सी आग ! ज्यादा नहीं, एक चिपटी भर आग की भी व्यवस्था हो जाए तो भी शायद मेरा काम निकल जाएगा।' महाराज को ये सब बातें ज्यादती भरी लगीं। उन्हें गुस्सा आ गया। वे कहने लगे, 'तुझे तीन बार मना कर दिया कि हम आग नहीं रखते और एक तू है जो आग पर आग माँगता जा रहा है। अगर ज्यादा किया तो ऐसा अभिशाप दूंगा कि यहीं आग में जलकर मर जाएगा।' आगन्तुक ने कहा, 'महाराज आप तो कहते हैं कि आपके पास आग नहीं है, फिर ये चिनगारियाँ कहाँ से आ रही हैं ? वीतरागी संत चौंके !' बोले, 'कौन-सी चिनगारियाँ ?' वह बोला, 'वे जो आपके भीतर से आ रही हैं।' आदमी केवल वेश-परिवर्तन, नाम-परिवर्तन, स्थान-परिवर्तन करने भर से जीवन में परिवर्तन नहीं कर पाता है। अगर आप लोग हकीकत में मुझे सुनते हैं तो मैं कहना चाहूँगा कि आप जीवन के शाश्वत सत्य और शाश्वत मूल्यों को Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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