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सकारात्मक सोचिए : सफलता पाइए
सांड का स्वभाव भी तय है, पर मनुष्य का स्वभाव तय नहीं है। सौ तरह के मनुष्य होते हैं और सभी का स्वभाव अलग-अलग हुआ करता है। दुनिया का हर मनुष्य अपने आप में अद्वितीय है। किसी की तुलना अन्य के साथ नहीं की जा सकती। सब अपने-अपने स्वभाव को लिए हुए हैं। अगर हम यह मान लेंगे कि मनुष्य का स्वभाव तय है तो जो मनुष्य क्रोध करता है वह मनुष्य जिन्दगी भर क्रोध ही करता रहेगा, पर ऐसा नहीं होता, जैसे ही किसी ने गाली दी और उधर क्रोध पैदा हुआ। जैसे इधर किसी ने बटन दबाया, उधर बल्ब जला। मनुष्य का ऐसा कोई तय स्वभाव नहीं होता है। अगर व्यक्ति अपने स्वभाव को बदलने का संकल्प ग्रहण कर ले तो दुनिया में ऐसी कौन-सी कठिन वस्तु है जिसे मनुष्य करना चाहे और न कर पाए? ।
हमारे युग की महानतम खोजों में एक यह भी है कि हम अपने स्वभाव, संस्कार और सोच में परिवर्तन ला सकते हैं। इन्हें बदला जा सकता है। कोई व्यक्ति अपने आप में बुरा है तो इसलिए क्योंकि उसने कभी अच्छा होने का संकल्प ही नहीं लिया। कोई व्यसन कर रहा है तो उसने व्यसनों से छूटने के लिए मनोबल के साथ आत्म-संकल्प न लिया होगा। आदमी संकल्प करे और अपने स्वभाव तथा आदतों को न बदल सके, यह असंभव नहीं है। जब मिट्टी में से फूल खिलाया जा सकता है और गमले में भी पौधे को पैदा किया जा सकता है तो सोचो कि पौधे में हम जो खाद देते हैं, उस खाद में कितनी दुर्गन्ध होती है लेकिन इसके बावजूद अगर उसे रूपांतरण की कीमिया मिल जाती है तो वही दुर्गंधित खाद किसी भी पौधे में खिले हुए फूल की सुवास का कारण बन जाती है। जब गन्दगी सुगंध में परिणत हो सकती है और माटी किसी को जन्म देने का कारण बन सकती है तो आदमी संकल्प कर ले तो क्या वह अपने जीवन में किसी भी तरह का रूपांतरण घटित नहीं कर सकता ?
जो व्यक्ति संकल्पशील नहीं होते हैं, वे ही अपने जीवन में गलत राहों पर चलते हैं। वे चलते रहते हैं और मर भी जाते हैं तब भी वे उन गलत राहों से छूट नहीं पाते। कहावत तो यह भी कहती है
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