Book Title: Sakaratmak Sochie Safalta Paie
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 72
________________ । स्वभाव बदलें, सौम्यता लाएँ मेरे प्रिय आत्मन्! आम जनमानस की एक चर्चित मान्यता है कि जिसका जो स्वभाव पड़ जाता है, शमशान में पहुँचकर ही छूटता है। मैं इसी संदर्भ में अनुरोध करूँगा कि मनुष्य-स्वभाव जैसी कोई तय वस्तु दुनिया में नहीं है। आदमी जैसा अपनी ओर से बनना चाहता है, वैसा वह बन जाया करता है। स्वभाव का अर्थ है किसी भी कार्य को निरन्तर करते रहने पर मनुष्य के चित्त पर जो संस्कार हावी हो जाता है, उसी का नाम स्वभाव है। प्रकृति ने मनुष्य को कोई तय स्वभाव प्रदान नहीं किया है। वह जैसा बनना चाहता है उसे वैसा ही बनने की पूरी आजादी दी हुई है। पशुओं का स्वभाव अवश्य तय होता है, पर मनुष्य का नहीं। दुनिया के किसी एक कुत्ते का स्वभाव अगर भौंकना है तो दुनिया के सारे कुत्ते एक ही स्वभाव को लेकर पैदा होते हैं। बिल्ली का स्वभाव अपने आप में तय है, गाय का स्वभाव भी तय है, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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