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सकारात्मक सोचिए : सफलता पाइए
पिओ, सब कुछ समय पर करो। नहाना-धोना, अखबार पढ़ना जो कुछ भी करते हैं सब अपने निश्चित समय पर। समय निर्धारित कर लीजिए कि अखबार आधा घंटा पदूंगा, जबकि लोग दिन भर पढ़ते रहते हैं जैसे अखबार ही उनकी जिन्दगी हो गई है। जैसे चिंचड़ गाय के थन में चिपक जाता है, ऐसे ही लोग अखबारों से चिपके रहते हैं। ग्राहक कोई है नहीं; चलो अखबार उठाओ और पढ़ लो। सुबह अलग अखबार, दोपहर में अलग अखबार, सांझ को अलग अखबार। अखबारों में आदमी की जिन्दगी पुलिंदा बन कर लिपटी रहती है। ___जीवन को एक व्यवस्था दें। सर्दियों के दिनों में लोग कितने आलसी हो जाते हैं। तीन-तीन दिन तक स्नान नहीं करते हैं। अरे भाई, ज्ञान-ध्यान-स्वाध्याय सभी चीजें समय पर नियोजित होनी चाहिए। महावीर ने बहुत प्यारी बात कही कि 'समयं गोयम मा पमायए ।' एक क्षण का भी प्रमाद मत करो। अगर यह दुनिया महावीर के संदेशों का सार सुनना चाहती है तो मैं कहूँगा कि महावीर ने अपने शिष्यों से हजार दफा यह बात कही है - 'समयं गोयम मा पमायए।' एक मिनट का भी प्रमाद मत करो। हम हर क्षण का उपयोग करते चले जाएँ। हमारी जिन्दगी जितनी भी है, अपने हर क्षण को सार्थकता प्रदान करें, अपने हर पल को धन्य करें। ‘समयं गोयम मा पमायए।' एक पल का भी आप प्रमाद मत कीजिए। कहीं ऐसा न हो कि घर में चोर घुस आएँ और आप प्रमाद के मारे सोए ही पड़े रह जाएँ।
सावधान ! पहले भी किसी ने कहा था 'हम देखते हैं, हमने देखा है, हम देखेंगे।' आज भी हम देख रहे हैं, देखते रहेंगे। समय यों ही चलता चला जा रहा है। आदमी आलसी है, मूर्छित है। इसीलिए उस पर गरीबी और बेरोजगारी हावी है। हम अपने जीवन में अगर गाँठ बाँध सकते हैं तो जरूर बाँध लें कि हम समय का अधिक से अधिक उपयोग करेंगे। सूत्र है : ‘हर समय व्यस्त रहो, हर हाल मस्त रहो।'
हम समय पर चलें, समय पर पहुँचे। हमारे देश में जिसकी सबसे बड़ी कमी है कि आदमी यहाँ समय पर नहीं चलता। लोग यहाँ बैठक में समय पर
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