Book Title: Sakaratmak Sochie Safalta Paie Author(s): Chandraprabhsagar Publisher: Jityasha FoundationPage 67
________________ 60 सकारात्मक सोचिए : सफलता पाइए किसी के प्रार्थना करने से किसी का कल्याण नहीं होता। हम ही हमारा कल्याण करेंगे, हम ही हमारी सद्गति के निर्माता बनेंगे। मरने के बाद किया गया दान-पुण्य व्यर्थ की इज्जत दिखाना है। जीते जी कुछ करना सार्थकता है। मरने के बाद करने में दिक्कत की बात नहीं है। पिंड-दान, तर्पण कर दें, कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन जीते जी कर लें तो उसमें सार्थकता जरूर है। समय के साथ चलें। समय के अनुसार व्यक्ति चलता चला जाए। हम समय के साथ चलें तो समय हमारे साथ चलेगा। घड़ी हाथ में केवल 'शो' बाजी के लिए न पहनें। समय के हर पल का अपने लिए उपयोग कर लेना चाहिए। आप समय के साथ चलिए। अपने समय को कभी भी कल पर मत टालिए। ऐसा मत सोचिए कि आज का काम कल करेंगे। जो करना है, वह आज ही कर लीजिए। अगर आप अपने कल के काम को भी आज ही कर सकते हैं तो जरूर आज ही कर लीजिए और यदि नहीं कर सकते हैं तो उसे कल-परसों पर मत टालिए। अगर कर सकते हैं तो उसे आज ही निपटा कर सोने की चेष्टा कीजिए। लोग कल, कल, कल पर टालते चले जाते हैं और कल को ही काल कहते हैं। काल का अर्थ समय भी होता है और काल का अर्थ मौत भी होता है। किसी के लिए काल समय बनकर आ जाता है तो किसी के लिए काल मौत बनकर आ जाता है। यह तो मैं नहीं कह सकता कि किसके लिए समय कैसा आएगा, लेकिन कल पर टालने की आदत से बचें। आदत ही पड़ चुकी है कल पर टालने की तो आप बुरे कामों को कल पर टालिए। शुभ काम आज कर लें, बुरे कामों को कल पर टालें। ____ गुस्सा करना है तो कल कीजिए। प्रेम करना है तो हाथों-हाथ कर लीजिए। सोचिए मत कि मेरा उससे वैर-विरोध है ? जब पर्युषण-पर्व आएगा, तब माफी माँगूगा। अरे, संवत्सरी की प्रतीक्षा कौन करे ? जैसे ही भाव उठ गया, जाएँ और हाथों-हाथ माफी मांग लें। आपका संवत्सरी पर्व उसी दिन हो गया। साल भर की कौन इंतजारी करे कि आए भी कि न आए। हाँ, किसी से बैर निकालना है तो चलो कल निकालेंगे। फिर किसी दस लक्षणी पर्व की इंतजारी करेंगे। गुस्सा कोई ऐसी वैसी चीज थोड़ी है कि जब चाहे तब निकाल दिया। अरे Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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