Book Title: Sakaratmak Sochie Safalta Paie
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 50
________________ आशा के दो दीप जलाएँ करें और जीत न पाएँ ? तनाव ही क्यों, जीवन की हर बाधा को आत्मविश्वास से दूर किया जा सकता है। अब तक हमने जीवन चाहे जैसा जीया हो पर अगर जीवन की सही समझ आ जाए तो सुबह का भूला सायं को घर लौटा हुआ ही कहलाएगा। समझ के अभाव में हम जीवन भर भटकते हैं और चेहरे पर मुखौटे ओढ़ते हैं । सुबह के भूले शाम को लौटे। गली-गली जीवन भर भटके, गुजरा सफर ट्रेन में लटके । संगी-साथी थे बहाव में, हम रह गए धार से कटके/ हर चेहरे पर चढ़े मुखौटे ।। Jain Education International आँधी-तूफानों के झोंके, किए प्रयास, रुके कब रोके । पर्वत से दुःख काँधे पर धर, चलते रहे, मगर रो-रो के । लोग मिले जैसे कजरौटे ॥ शूल हठीले, पथ रपटीले, गहरी खाई, ऊँचे टीले । खूब दिये धोखे पर धोखे, फूलों से तन, मन पथरीले । काट रही अब याद बकौटे। सुबह के भूले शाम को लौटे ॥ 43 हमेशा 'रिलेक्सेशन' को महत्त्व दीजिए । तन में भी रिलेक्स और मन में भी रिलेक्स। ऐसा कोई भी काम मत कीजिए जिससे टेंशन होता हो । फिर चाहे वह कितना भी जरूरी क्यों न हो। काम को कभी भी दबाव में मत कीजिए, प्रेम For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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