Book Title: Sakaratmak Sochie Safalta Paie
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 48
________________ आशा के दो दीप जलाएँ में ही, जब मैं कंचे खेला करता था तभी यह संकल्प कर लिया कि मैं अपनी जिंदगी में इतना सुंदर इंसान बनूँगा, अपने हृदय को इतना महान् बनाऊँगा कि शरीर की, चेहरे की कुरूपता ढक जाय। उसी दिन से मैंने स्वयं को शिक्षा से जोड़ लिया। मन लगाकर पढ़ाई की और गोल्ड-मेडल के साथ चिकित्सक की उपाधि प्राप्त की। मैं किसी के साथ भी कटु वचन नहीं बोलता हूँ, बदसलूकी नहीं करता हूँ। मैंने अपनी आँखों को हमेशा मुस्कराते हुए रखा और जबान से सदा मीठा बोला। मुझे याद नहीं कि मैंने कभी किसी को पीड़ा दी है।' जीवन-विकास के लिए यह घटना पर्याप्त है। हीनता की ग्रंथि को लेकर आप जीवन में कभी विकास नहीं कर सकते। कूप-मंडूक न बनें। सागर बहुत विशाल है, सागर की ओर से आप सबको निमंत्रण है कि हृदय की तुच्छ दुर्बलता का त्याग करें। आएँ, कर्तव्य-मार्ग आप सभी को पुकार रहा है। आप अपने कर्तव्य-मार्ग के लिए सन्नद्ध हो जायें। ईश्वर आपका साथ निभाएगा। प्रकृति आपका साथ निभाएगी। जीवन में अगर कई मार्ग बंद भी हो गए हैं, तब भी चिंता न करें। जो कुदरत जीवन में एक द्वार बंद करती है वही कुदरत दूसरा द्वार खोल भी देती है। विश्वास रखो, जिसने तुम्हें जीवन दिया है वह जीवन की व्यवस्थाएँ भी देगा। जिसने तुम्हें पार लगने की नौका दी है, वह हवाएँ भी अनुकूल करेगा। अपनी चिंता को खुद छोड़ें और आत्मविश्वास का दीप दिल में जलाकर हीन-भावना पर विजय प्राप्त करें। हर सुबह उगता सूरज हमें यही तो प्रेरणा देता है कि विकास की सम्भावनाएँ अभी और भी हैं। तुम फिर से प्रयत्न करो, फिर से प्रयत्न करते रहो। अपने हर कार्य को और अधिक बेहतर बनाने के लिए प्रयत्नशील रहो। जो श्रेष्ठ को भी और अधिक श्रेष्ठ बनाने की जागरूकता और मानसिकता रखते हैं वे ही सफलता की ऊँचाइयों को हासिल किया करते हैं। उनमें से ही तब कोई महावीर या मैक्समूलर बनता है, बुद्ध या बिड़ला होता है, कृष्ण या कबीर होता है। __द्वार अभी और खुले हैं। अवसर की मात्र प्रतीक्षा मत करते रहो। चार कदम आगे बढाओ, सफलता का सूरज आपके रास्ते पर घोर अंधेरा और बाधाओं के बावजूद रोशनी बिछाने के लिए तत्पर है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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