Book Title: Sakaratmak Sochie Safalta Paie
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 51
________________ 44 सकारात्मक सोचिए : सफलता पाइए से कीजिए। दबाव में किया गया काम ही काम को बोझिल बनाता है। प्रेम से करो तो वही काम हलका हो जाता है। बोझिल मन से सगे भाई को देखोगे तो वह भी भार महसूस होगा, वहीं अगर खुशमिजाजी के साथ अगर किसी दूर के रिश्तेदार से भी मिलोगे तब भी तुम्हें भाई जैसा ही सुकून मिल जाएगा। मैं फिर कहना चाहता हूँ कि हमेशा रिलेक्सेशन को मूल्य दो, टेंशन को नहीं। प्रकृति से मोहब्बत करो, प्रकृति के सान्निध्य में जीओ। प्रकृति की व्यवस्थाओं को अपनी आँखों में बसा लो यानी जीवन हो नैसर्गिक और प्राकृतिक। प्रकृति से जुड़कर ही जीवन के विकास में विश्वास रखो। कार्य हमेशा रचनात्मक हो और सोच सदा सकारात्मक हो। जफर क्या पूछता है राह, मुझसे उसके मिलने की। इरादा हो अगर तेरा तो हर जानिब से रस्ता है। अच्छी सोच रखो, अच्छा नजरिया रखो। जीवन को उत्साह और प्रेम से जीओ। जीवन चाहे चार दिन का हो या चालीस साल का। उसे ज़िन्दादिली के साथ जीया जाना चाहिए। जीवन में चाहे अभाव हो या प्रभाव, उसे खुश मिजाजी से जीओ। अगर आप कर्मशील हैं तो गलतियाँ तो होंगी ही। हो चुकी गलती का रोना रोने की बजाए उसे फिर न दोहराने की जागरूकता रखो। गलती केवल उसी से नहीं होती जिन्होंने जीवन में कुछ किया ही न हो। आशापूर्ण दृष्टिकोण अपनाइए। यदि अपनी मनोवृत्ति को बदलकर आत्मविश्वास की वृत्ति अपनाएँगे तो आपका रूप वैसा ही होगा, जैसे सूरजमुखी फूल का होता है। सूरजमुखी का पौधा अपनी परछाँई नहीं देखा करता, वह तो सूर्य की ओर मुँह करके खड़ा रहता है। आप भी शांति, विश्वास, आशा और उत्साह के साथ उगते हुए सूर्य को प्रणाम करें। आपका भविष्य सफलता की अद्भुत संभावनाएँ लिए हुए आपकी प्रतीक्षा कर रहा है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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