Book Title: Sakaratmak Sochie Safalta Paie
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 43
________________ सकारात्मक सोचिए : सफलता पाइए कार्य बंधन अथवा बेड़ी बनता है, वही कार्य मुक्ति का प्रथम द्वार भी बन सकता है बशर्ते तुम अपने कार्य से प्यार करना सीख जाओ। अगर तुम जिंदगी भर खुशियाँ चाहते हो, आनन्द और प्रसन्नता चाहते हो तो मैं कहूँगा कि आप अपने काम से प्यार करना सीखें। थोड़ी-सी खुशियाँ छोटे से कामों से मिल जाती हैं, लेकिन जीवन भर की खुशी केवल अपने काम के प्रति प्यार से ही मिलती है। तहजीब तथा सम्मान से आप अपना कार्य करें। जब भी मनोयोगपूर्वक आप अपना कार्य करेंगे, वह कभी भी भारभूत नहीं लगेगा। हर कार्य आपको सुख का सुकून दे जाएगा। अगर कार्य बोझ लगे तो उसे छोड़ें नहीं, बल्कि अपनी मनोदशा को बदलने की कोशिश करें जिसके कारण आपको काम बोझिल लगता है। आईने बदलने से सौन्दर्य नहीं बनता। आपकी जैसी शक्ल है आईना वैसी ही शक्ल प्रतिबिम्बित करता है। हाँ, उदास और गमगीन चेहरों को फूलों जैसा खिला लेने से अवश्य ही आपके आसपास सुवास फैल जाएगी। चेहरे की खुशहाली आईने में भी नजर आएगी। मनोदशा के बदलते ही सब सुरुचिपूर्ण हो जाता है। भोजन भी करें तो आनन्दपूर्वक, पूरा रस लेकर। यदि आप भाग-दौड़ की जिंदगी में तनिक दिल लगाकर भोजन करें तो आपको भोजन की सुस्वादुता का पता चलेगा। जीवन का प्रत्येक कार्य एक मन से सम्पादित होना चाहिए। जीवन में सफलता पाने का यही मूल मंत्र है। जीवन में जिस कार्य को करो, उस समय वैसा ही मन रखो। एक काम-एक मन जीवन की सफलता का राजमंत्र है। यह आपको उन सोपानों तक पहुँचाएगा जहाँ जाने की आपकी आकांक्षा है। बोझिलता को उतार फेंकना ही आपकी समझदारी है। तकिया रात में नींद के समय बहुत सुकून देता है लेकिन दिन में तो उसे साथ लेकर नहीं चला जा सकता। रात में जिसने सुख दिया, वह दिन में बोझ बन जाता है। दिन में जिसने सुख दिया, वह रात में बोझ बन जाता है इसलिए उसे किनारे कर देना ही ठीक है। जब तक सुख मिला ठीक है। अब उसे परे हटा ही दो। बोझ को उतार देने पर ही नवीनता का अनुभव कर सकोगे। जैसे साँप केंचुली उतार देता है, ठीक उसी तरह अपने दिल के बोझों को उतार दो। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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