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सकारात्मक सोचिए : सफलता पाइए
चिड़िया की आँख दिखाई दे रही है।' द्रोणाचार्य ने उसकी पीठ थपथपाई और कहा, 'वत्स, परीक्षा की इस घड़ी में मेरा अंतिम उपदेश यही है कि जिसके जीवन में लक्ष्य पूर्णरूपेण साकार नहीं हो पाता, वह जिन्दगी में कभी सफल नहीं हो सकता। जिसे केवल चिड़िया की आँख की तरह प्रतिपल अपना लक्ष्य दिखाई देता है, वही जीवन में सफलता को प्राप्त करता है।'
तुम सदैव ऊँचे लक्ष्य रखो। ऊँचे लक्ष्यों में जोश और आत्म-विश्वास कुछ अधिक ही होता है। तुम ऊँचे लक्ष्य तक भले ही न पहुँच सको, लेकिन जहाँ तक पहुँचोगे वह उतना ऊँचा स्थान होगा जहाँ तक शायद दूसरा कोई न पहुँच सका हो। __मैंने अपने जीवन से कामयाबी के लिए जो कुछ जाना है और दुनिया में जो लोग सफल हुए हैं, उन्हें देखकर, समझकर, पढ़कर, सुनकर जो कुछ समझा है, उन्हीं बातों का मैं जिक्र करता हूँ। पहली बात हमने यह जानी कि हमारे भीतर दृढ़ इच्छाशक्ति हो, दूसरी बात है उन्नत लक्ष्य हो और तीसरा बिन्दु है व्यक्ति जिस लक्ष्य को पाना चाहता है, उसकी विशिष्ट कार्य-योजना हो। योजना बनाकर ही हम लक्ष्य-भेद कर सकते हैं। लक्ष्य तो बना लिया, लेकिन हवाई कल्पनाएँ कर लेने मात्र से लक्ष्य पूर्ण नहीं होता। उसके लिए सुनियोजित कार्यप्रणाली होनी चाहिए। मनुष्य का जीवन बहुत व्यवस्थित और योजनाबद्ध होना चाहिए। हर क्षेत्र अनुशासित होना चाहिए। कार्य-योजना से मतलब है प्लानिंग। अक्सर हम अपने जीवन में योजना को उतना महत्त्व नहीं देते जितना दिया जाना चाहिए। इसीलिए हमारे काम कई मर्तबा बिगड़ जाया करते हैं। वे काम भी हमें तनाव और चिन्ता दे जाया करते हैं। अगर हम कार्य-शैली के लिए एक सिस्टम, एक योजना लागू करें तो आप पायेंगे कि न केवल आपका कार्य ही सफल होगा अपितु वह कार्य आपको पर्याप्त सुख-सुकून और संतोष भी देगा।
यदि किसी काम की भलीभांति पूर्वयोजना बनाकर उसे किया जाए तो उस काम में सफलता मिलनी कुछ प्रतिशत तक सुनिश्चित हो जाती है। जैसे, यदि आप विद्यार्थी हैं और किसी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो आपको अपने
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