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सकारात्मक सोचिए : सफलता पाइए
लेकर जा रहा था। योग की बात कि हंडी फूट गई। बूढ़े आदमी ने हंडी को देखा भी। उसे सूप के बह जाने का पता भी चला, पर वह उससे बेखबर होकर अपनी यात्रा के लिए आगे चलता ही रहा। पीछे से आ रहे युवा राहगीर ने उसे आवाज लगाकर रोका और कहा, 'क्या तुम्हें पता है कि तुम्हारा सारा सूप बह चुका है?' बुजुर्ग ने कहा, 'हाँ, मुझे पता है, पर जब वह बह चुका है तो मैं क्या करूँ ?' युवक ने कहा, ‘ताज्जुब ! सारा सूप बह गया और तुम कहते हो कि मैं क्या करूँ ?' बूढ़ा मुस्कराया और कहने लगा, ‘खोए का रोना क्या ?' यह कहते हुए उसने कंधे पर रखी फूटी हंडिया को भी उतारा और वहीं किसी पत्थर की आड़ में रखकर निश्चिंत और निर्भार होकर आगे की यात्रा के लिए निकल पड़ा।
मेरे इस सूत्र को जीवन भर याद रखो कि खोए का रोना क्या ! चिन्ता से मुक्त होने के लिए हर समय व्यस्त रहो, मस्त रहो। फालतू दिमाग शैतान का घर होता है। तुम न तो निकम्मे रहो, न निठल्ले। हर समय व्यस्त भी रहो और मस्त भी। हर सुबह आँख खुलते ही मुस्कराओ। घर से ऑफिस जाने से पहले जब पहला कदम बढ़ाओ तो पहले मुस्कराओ। भोजन करने बैठो तो पहले मुस्कान का भोग लगा लो। साँझ को दुकान अथवा दफ्तर से घर लौटो तो पहले किसी कचरा-पेटी के पास जाकर अपने उस दिमाग को खाली कर लो जिसमें दिन भर की उठापटक और मेहनतकशी के कारण चाहा-अनचाहा कचरा आ गया है। संभव है, अब तुम सोने की सोच रहे हो, पर ठहरो ! पहले जरा मुस्करा लो, फिर बिस्तर के समर्पित हों।
ये जो कुछ बातें हैं, इन्हें अपने मन में गाँठ बाँध लो। ये बेशकीमती रत्न हैं जो संकट की हर घड़ी में काम आयेंगे। इन रत्नों को अगर रोजाना पॉलिश करते रहो तो संभव है संकट आए ही नहीं। इन रत्नों का प्रकाश और मूल्य तुम्हें सदा सुख-सुकून देते रहेंगे।
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