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सकारात्मक सोचिए : सफलता पाइए
वह तो जंगली घास की तरह खुद ही उग आया करती है। प्रयास की जो जरूरत है, जागरूकता की जो आवश्यकता है, वह सब सकारात्मक सोच के लिए ही है। ध्यान रखो, दुनिया का जो सबसे कम विकसित द्वीप है, वह आपकी टोपी के नीचे है। यदि सोच को श्रेष्ठ और बेहतर, सकारात्मक और रचनात्मक बना लिया जाए तो सोच स्वयं ही इंसान के लिए दुनियां का सबसे बेहतरीन वरदान साबित हो सकता है।
मनुष्य अपने सोच-विचार को बदलने में समर्थ है। वह अपने मस्तिष्क का मार्गदर्शन करने और नकारात्मक भावों को निकालने में भी समर्थ है। मनोविज्ञान का यह निष्कर्ष है कि मनुष्य का स्वभाव किसी पशु की तरह तय नहीं होता। अगर वह चाहे तो अपने विचार और सोच को बदलकर अपने जीवन को नए आयाम दे सकता है तथा अपने जीवन में फिर से नई सुबह का प्रारम्भ कर सकता है। व्यक्ति के जीवन में सफलता का मापदंड उसकी सोच, उसका नजरिया, उसका दृष्टिकोण और उसकी जीवन-शैली पर निर्भर करता है। जो व्यक्ति अपने बाहरी सौन्दर्य के प्रति जागरूक है, मैं उससे पूछना चाहूँगा कि क्या वह अपने विचारों के सौन्दर्य के प्रति भी सचेत है ? माना कि शारीरिक सौन्दर्य का प्रभाव होता है, लेकिन किसी की कामयाबी में पिच्चासी प्रतिशत प्रभाव सकारात्मक सोच, शैली और व्यवहार का होता है जबकि शेष पन्द्रह प्रतिशत अन्य बातों का। यह आदमी की नासमझी है कि जिस पर पन्द्रह प्रतिशत ध्यान देना चाहिए, उस पर पिच्चासी प्रतिशत ध्यान देता है और जिस पर पिच्चासी प्रतिशत ध्यान देना चाहिए उस पर वह केवल पन्द्रह प्रतिशत ध्यान दे रहा है।
आपके जीवन में अगर निराशा है, तनाव है, चिंता और घुटन है, अव्यवस्था है या लोग आपसे वैर-विरोध और वैमनस्य रखते हैं तो यह स्पष्ट है कि आप अपने जीवन को सकारात्मक, रचनात्मक और गुणात्मक रूप दे पाने में सफल नहीं रहे हैं। जो मनुष्य के हाथ में है, उसे वह क्यों न कर डाले ? माना कि रंग हमारा जैसा भी है, हम उसे बदल नहीं सकते। काला या गोरा रंग प्रकृति का परिणाम है। हम अपनी जाति नहीं बदल सकते। वह जन्म से जुड़ी हुई
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