Book Title: Sagar ke Moti
Author(s): Amarmuni
Publisher: Veerayatan

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Page 18
________________ ईसा की क्षमा ईसा से एक आदमी कटु वचन बोल रहा था और वे उससे नम्र और मधुरता से वातें कर रहे थे । एक दूसरे आदमी ने देखा तो कहा - "आप इस दुष्ट से इनती नरमी का बर्ताव क्यों कर रहे हैं ?" ईसा ने हँस कर कहा - "वस्तु में से वैसा ही रस तो टपकेगा, जैसा कि उसमें होगा ।" ईशा की क्षमा : Jain Education International For Private & Personal Use Only ह www.jainelibrary.org

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