Book Title: Sagar ke Moti
Author(s): Amarmuni
Publisher: Veerayatan

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Page 53
________________ क्या गधा भी इतना सुन्दर हो सकता है ? सुप्रसिद्ध कलाकार श्री नन्दबाबू से एक नवागन्तुक छात्र ने पूछा-"वह किस विषय को लेकर चित्रांकन करे ?" नन्दबाबू तुरन्त बोले-"जो भी विषय तुम्हारे नयनों के सामने आए, उसी का अंकन कर सकते हो, यथा-पुष्प, पत्र, गधा आदि ।" नवागत छात्र गुरुजी की तरफ जरा विस्मय-दृष्टि से निहारने लगा। मानो, वे कुछ परिहास कर रहें हों ? . शिल्प - गुरु ने उसके मनोगत भाव को भांप लिया। शीघ्र ही अपनी जेब से एक खाली कागज और पेंसिल, जो कि उनकी जेब में सदा मौजूद रहते थे, निकाल कर पास ही खेत में चरते हुए एक गधे का जीवित रेखांकन (स्केच) कर बताया। छात्र उस चित्रांकन को ध्यान से निहारता रहा । अंकन पूरा होते ही वह भावावेश में बोल उठा--"गुरुजी, क्या गधा भी इतना सुन्दर हो सकता है ?" "निःसन्देह, यदि किसी के पास उसके सौन्दर्य को अवलोकन करने की गहरी दृष्टि हो !" गुरु ने उत्तर दिया। सागर के मोती: Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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