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रोने - चिल्लाने लगा। उन्हें दया आई। खुद तैरना नहीं जानते थे, किन्तु फिर भी उसे बचाने के भावावेश में वे तालाब में कूद पड़े। पर, अब तो हालत और बुरी हो गई ? बच्चा तो हाथ नहीं आया, खुद भी डूबने लगे, तो बेहतास हाथ-पैर मार कर छटपटाने लगे। इतने में कुछ लोग आ गए । और, किसी तैराक ने दोनों को ही बाहर निकाल लिया। ___मैंने उनके अनुभव का भाष्य किया जो स्वयं तैरना नहीं जानता है, वह दूसरे को तिराने जाएगा, तो स्वयं भी डूबेगा और दूसरे को भी डूबो देगा ! इसी प्रकार जो स्वयं नहीं सुधरा है, वह दूसरों को सुधारने का प्रयत्न करेगा, तो वह स्वयं तो बिगड़ा ही है, दूसरों को भी बिगाड़ देगा। • अनेकान्त एक टकसाल के समान है, जहाँ सत्य के भिन्न-भिन्न खण्ड एक सांचे में ढलकर पूर्ण सत्य का आकार पाते हैं । ० जो हर घड़ी दूसरों के अवगुण ही देखता रहता है और प्रत्येक क्षण पराई निन्दा में ही लगा रहता है, वह एक प्रकार का 'ब्लेक बोर्ड' को साफ करने वाला मैला डस्टर है।
• महाभारत में कहा गया है- जिसका तन भले ही दुर्बल है, किन्तु मन सुदृढ़ और बलशाली है, वह वास्तव में बलवान ही है"प्राज्ञ एको बलवान् दुर्बलोऽपि" ० हृदय की उदारता के बिना दान नहीं दिया जा सकता। किन्तु, दान के साथ यदि मधुर - वाणी और निरभिमानिता का
सागर के मोती:
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