Book Title: Sagar ke Moti Author(s): Amarmuni Publisher: VeerayatanPage 54
________________ कुशासन से बाघ अच्छा ! चीन के महान् सन्त कनफ्यूशियस अपने विराट् देश की लम्बी यात्रा कर रहे थे। एक बार एक सूने और भयावने जंगल में उन्होंने एक स्त्री की रोने की आवाज सुनी । पास जाकर देखने से पता चलता है कि उस स्त्री के ससुर, पति और सन्तान को बाघ ने अपना भोजन बना लिया है। कनफ्यूशियस ने कहा- "तुम कहीं और क्यों नहीं चली जाती ?" उस स्त्री ने छुटते ही उत्तर दिया-"नहीं, यहाँ और जो हो, अत्याचारी राज्य की हुकूमत तो नहीं है।" सार तो निकाल लिया महात्मा गांधीजी एक वार जब लन्दन जा रहे थे, मार्ग में एक अंग्रेज से उनका परिचय हो गया। वह अंग्रेज कुछ बदमिजाज का था। बात - बात पर गाँधीजी को खरी - खोटी सुनाया करता था। एक दिन उसने एक व्यंग कविता लिखकर गांधीजी के पास भेजी। महात्माजी ने उस कविता को तो बिना पढ़े ही रद्दी की टोकरी में डाल दिया और उसमें लगी पिन को निकाल कर डिबिया में रख लिया। इस पर उस ने कहा-- “गांधीजी उसमें कुछ सार भी है, पढ़कर तो देखिए।" महात्माजी ने हँस कर कहा--"सार तो मैंने निकाल कर डिबिया में रख लिया है।" कुशासन से, बाध अच्छा : Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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