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बुरा भागे या भला ? श्री घनश्यामदास बिड़ला ने एक बार गांधीजी से कहा"महात्माजी, आप के इर्द - गिर्द के लोगों में कितनेक बुरे आदमी भी आ गए हैं।"
इस पर गाँधीजी ने हंसते हुए कहा--"तो इसका मुझे क्या डर है ? मुझे कोई धोखा नहीं दे सकता। जो मुझे धोखा देने में अपने को दक्ष समझते हैं, वे स्वयं अपने आपको धोखा देते हैं । मैं तो शैतान के पास भी रहने को तैयार हूँ, किन्तु शैतान मेरे पास कैसे रहेगा ? जो बुरे हैं, वे स्वयं मुझे त्याग देंगे ?'
हुआ भी ऐसा ही। कितने ही लोग गांधीजी के साथ हुए, कुछ देर चले, अपनी दुर्बलताओं से अन्त में इधर - उधर भटक गए। किन्तु, गांधीजी अपने पथ पर बढ़ते ही गए। बुरे लोगों से बचने की धुन में भागते फिरने की आवश्यकता नहीं। खुद में सचाई चाहिए, या तो बुरे भले बन जाएँगे, या एक दिन वे खुद ही भाग जायेंगे !
बुरा भागे या भला?:
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