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साधना का लक्ष्य
नर ? तुझ में सोया नारायण, उसे जगाना यही साधना | अन्य सभी जो घोर घोरतर, क्रिया - काण्ड हैं, मात्र यातना ॥
अन्तर्मुख यदि नहीं हुआ तो, बाहर में क्या पाएगा जन ? बहिर्मुखी वैभाविकता में, है केवल भटकन - ही - भटकन ॥
साधना का लक्ष्य :
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