Book Title: Sagar ke Moti
Author(s): Amarmuni
Publisher: Veerayatan

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Page 82
________________ प्रेरणा और स्वप्न भूत हो गया भूत, भूत कोबस पीछे ही रहने दो। आगे एक भविष्य भाव कीधारा ही को बहने दो ॥ लो अतीत से भव्य प्रेरणा, देखो, वर भविष्य के सपने । वर्तमान में रहो कर्मरत, पूर्ण करो सब सपने अपने ॥ वीर, तुम्हारे श्री चरणों में, कोटी - कोटी वन्दन अर्पित । जन - कल्याणी नव शुभ वाणी, रहे विश्व में अनुगु जित ॥ KHADITH HEMATLATION प्रेरणा और स्वप्न : ७५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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