Book Title: Sagar ke Moti
Author(s): Amarmuni
Publisher: Veerayatan

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Page 35
________________ सुरक्षित कोष ___महाकवि नरहरि, सम्राट अकबर के दरबार में ख्याति प्राप्त कवि थे। उन्होंने दिल्ली से एक वार अपने पुत्र हरिनाथ के पास विपुल धनराशि भेजी। हरिनाथ ने वह सारा धन गरीब ब्राह्मणों को दान कर दिया। कुछ समय बाद जब नरहरि घर लौटे, तो पूछा- "बेटा, मेरा भेजा हुआ धन तुमने कहाँ रखा है ?" हरिनाथ ने कहा"पिताजी, आप निश्चिन्त रहें, मैंने उसे पूर्णतया सुरक्षित कोष में जमा कर दिया है, सायंकाल दिखाऊँगा।" नरहरि चुप हो गए। इधर हरिनाथ ने उन सब ब्राह्मणों से कहला भेजा कि आप लोग सायंकाल वह सब द्रव्य, वस्त्र आदि, जो मैंने आपको दान दिए हैं, लेकर आएँ । सायंकाल ब्राह्मणों के अपनी गढ़ी पर उपस्थित होने पर हरिनाथ ने नरहरि से कहा- "पिताजी, चलिए, अपनी संपत्ति देख लीजिए। मैंने उसे कितने अच्छे सुरक्षित कोष में जमा कर रखा है ?" नरहरि ने यह देखा तो अवाक रह गए। ब्राह्मणों को विदा करके उन्होंने ईनाथ से कह-"बेटा, किया तो तूने खूब । जन्मजन्मान्तर के लिए संपत्ति को सुरक्षित रखने का इससे बढ़कर और कोई सुन्दर एवं सुरक्षित तरीका नहीं हो सकता, परन्तु यह सव यदि अपनी कमाई से करते, तो और अधिक अच्छा होता । २६ सागर के मोतो: Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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